रांची। झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस और उसके ठिकानों से भारी मात्रा में कैश बरामदगी में उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
झारखंड कांग्रेस में वरिष्ठतम यानी नंबर एक की हैसियत रखनेवाले आलमगीर एकाएक ही अलग थलग पड़ गये हैं।
चंपई सोरेन मंत्रिमंडल में दूसरे स्थान पर आसीन कांग्रेस कोटे से ग्रामीण विकास मंत्री बने आलमगीर आलम को किनारे करने की कोशिशें दिखने भी लगी हैं।
बीते मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सभा में उन्हें मंच पर जगह नहीं मिली। वह पूरे आयोजन से ही अलग-थलग रहे। सामने कार्यकर्ताओं की तरफ किनारे बैठे रहे।
बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर राहुल गांधी के आगमन से लेकर चाईबासा और गुमला दोनों ही जगह हुई राहुल गांधी की जनसभाओं से उन्हें दूर रखा गया।
कांग्रेस सूत्रों की मानें, तो आलमगीर आलम को फोन कर सभा में आने से स्पष्ट तौर पर मना कर दिया गया था।
बताते चलें कि सोमवार को आलमगीर आलम के सरकारी आप्त सचिव के नौकर के आवास से 31 करोड़ से अधिक तथा उनसे जुड़े कुछ ठेकेदारों और इंजीनियरों के यहां से चार करोड़ रुपये से अधिक नकदी बरामद की गई थी।
मंगलवार को भी कुछ ठेकेदारों के यहां छापेमारी कर ईडी ने एक करोड़ से अधिक की नकद रकम बरामद की।
बताया जा रहा है कि राहुल गांधी की छवि को पाक-साफ और गैरविवादित रखने के लिए आलमगीर को उनके कार्यक्रम से दूर रखा गया।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार आलमगीर को संदेश दे दिया गया है कि पहले जांच से बरी होकर आएं।
गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री के बाद नंबर दो की पोजिशन वाले मंत्री आलमगीर आलम को एक दिन पहले राजधानी रांची के मोरहाबादी में यशस्विनी सहाय की नामांकन रैली में मंच पर देखा गया था।
परंतु वहां भी वह सक्रिय नहीं रहे, मानो उन्हें पहले ही मैसेज दे दिया गया हो। कार्यक्रम में मौजूद पत्रकारों का आकलन था कि आलमगीर आलम की बाडी लैंग्वेज बदली हुई है।
आम दिनों में वह सभी को लीड करते और दिशा निर्देश देते नजर आते थे। जबकि वहां चूपचाप बैठे रहे।
मंगलवार की रैली में भी मंच पर लगे पोस्टर में आलमगीर आलम की बड़ी तस्वीर तो थी, लेकिन राहुल गांधी के संग बैठने का स्थान नहीं मिल सका।
यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन आलमगीर आलम के खिलाफ कार्रवाई करना चाह रहे हैं।
कयास लगाये जा रहे हैं कि चंपाई कैबिनेट से भी उन्हें किनारे किया जा सकता है। इस संबंध में चंपाई सोरेन की राहुल गांधी के साथ चर्चा भी हुई है।
संभव है, लोकसभा चुनाव के बाद इस दिशा में कोई कार्रवाई देखने को मिले। कांग्रेस के अंदर भी दबी जुबान से चर्चा हो रही है कि यही स्थिति रही तो उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है।
कांग्रेस पार्टी में आलमगीर का विरोधी खेमा इस बात को लेकर खासा उत्साहित है। इस खेमे के एक नेता तो सोमवार की शाम ही दिल्ली रवाना हो गये थे और वहीं डेरा डाले हुए हैं।
आलमगीर का विरोधी खेमा, जहां इस मामले को भुनाने से चूकना नहीं चाहता, वहीं आलमगीर के समर्थकों की चिंता है कि पता नहीं अब आगे क्या होगा, कब और किसे ईडी का समन आ जाये, इसे लेकर सबकी नींद उड़ी हुई है।
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