Monday, October 20, 2025

Dishom Guru: जिंदगी की जंग को भी योद्धा की तरह लड़े ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन, महाजनी प्रथा से झारखंड अलग राज्य आंदोलन तक किया संघर्ष

- Advertisement -

Dishom Guru:

रांची। झारखंड के महानायक और तीन बार के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने जिंदगी की जंग को भी एक योद्धा की तरह लड़ा और अंतत: वीरगति को प्राप्त हुए। शिबू सोरेन 19 जून से अस्पताल में भर्ती थे और संघर्ष कर रहे थे, सोमवार 4 अगस्त की सुबह को उनका निधन हो गया। शिबू सोरेन आदिवासियों के सर्वमान्य नेता थे और उन्होंने अपना पूरा जीवन ही आदिवासी कल्याण के लिए लगाया। झारखंड अलग राज्य का संघर्ष उन्होंने किया और तब तक लड़े जबतक कि उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ।

रामगढ़ के नेमरा गांव से शुरू हुई थी शिबू सोरेन की कहानी

शिबू सोरेन संताल आदिवासी हैं और इनका पैतृक निवास रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में है। इनके पिता सोबरन सोरेन पेशे से शिक्षक थे और इलाके में महाजनी प्रथा, सूदखोरी और शराबबंदी के खिलाफ आंदोलन चला रखा था। शिबू सोरेन का जन्म नेमरा में ही 11 जनवरी 1944 को हुआ था। जब वे महज 13 साल के थे तब उनके पिता सोबरन सोरेन की 1957 में हत्या कर दी गई थी। पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन के बाल मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा और उन्होंने साहूकारों और महाजनों के खिलाफ संघर्ष शुरू कर दिया। टुंडी प्रखंड के पलमा से शिबू सोरेन ने महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया था। संताल समाज को जागरूक करने और लोगों को शिक्षित करने के लिए सोनोत संताल समाज का गठन किया। शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने और नशे से दूर रखने के लिए काफी प्रयास किए।

महाजनों से आदिवासियों की जमीन को मुक्त कराने के लिए किए अनोखे प्रयासः

1970 के दशक में झारखंड में महाजनों का आतंक कायम था। वे आदिवासी किसानों को अपने ऋण के जाल में फंसा लेते थे और उनसे मनमाना सूद वसूलते थे। सूद ना दे पाने की स्थिति में वे आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर लेते थे। जमीन पर से हक खत्म हो जाने के बाद आदिवासी बदहाल हो जाते थे क्योंकि जमीन ही उनकी जीविका का साधन था। शिबू सोरेन के पिता की हत्या में भी इन महाजनों का ही हाथ माना जाता था, इसलिए शिबू सोरेन ने महाजनों के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए शिबू सोरेन ने उन जमीनों पर धान काटो अभियान चलाया, जिसे ऋण के बदले में महाजन कब्जाए बैठे थे।

इस अभियान के दौरान आदिवासी महिलाएं जमीन से धान काट लेती थीं और धनकटनी के दौरान आदिवासी पुरुष तीर-धनुष लेकर सुरक्षा में तैनात रहते थे। इस तरह महाजनों को शिबू सोरेन ने टक्कर दी। इतना ही नहीं उन्होंने आदिवासियों को सामूहिक खेती और सामूहिक पाठशाला के लिए भी प्रेरिरत किया।

आदिवासियों को एकजुट करने के लिए किया गया झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठनः

शिबू सोरेन ने आदिवासी अधिकारों को सुरक्षित करने और उन्होंने शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए उन लोगों को एक मंच पर लाने का काम किया, जो एक ही तरह के कार्यों के लिए अलग-अलग संघर्ष कर रहे थे।
वरीय पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा के अनुसार एके राय, विनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन अलग-अलग बैनर के तले आंदोलन चला रहे थे। 4 फरवरी, 1972 को तीनों एक साथ बैठे और सोनोत संताल समाज और शिवाजी समाज का विलय कर ‘झारखंड मुक्ति मोर्चा’ नामक नया संगठन बनाने का निर्णय हुआ। इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Marcha- JMM) का गठन हुआ। झामुमो के गठन के साथ ही विनोद बिहारी महतो इसके पहले अध्यक्ष बने थे और शिबू सोरेन को महासचिव बनाया गया था।

1977 में राजनीति की ओर किया रुखः

झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन के बाद उन्होंने पहली बार 1977 में लोकसभा और टुंडी विधानसभा क्षेत्र का चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही चुनाव में उन्हें हार मिली। उसके बाद गुरुजी ने संताल परगना का रुख किया और 1980 में दुमका लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर जेएमएम के पहले सांसद बने.वहीं जेएमएम की एक बड़ी उपलब्धि यह रही कि 1980 के विधानसभा चुनाव में संताल परगना के 18 में से 9 सीटों पर जेएमएम को जीत मिली। उस वक्त झारखंड बिहार का हिस्सा था और जेएमएम की जीत से बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ।

झारखंड अलग राज्य के आंदोलन को बनाया जनांदोलन

झारखंड अलग राज्य की मांग काफी पुरानी थी, लेकिन राजनीति में सक्रिय होने के बाद शिबू सोरेन ने इस आंदोलन को जनता का आंदोलन बना दिया और उनके आंदोलन की वजह से ही अलग राज्य का गठन हुआ, जो उनका सपना था. 1980 में जब वे जेएमएम के पहले सांसद बनकर संसद पहुंचे तो उन्होंने वहां आदिवासियों के मुद्दों को उठाना शुरू किया। आदिवासियों की संस्कृति, भाषा, जल-जंगल-जमीन पर उनके अधिकारों की बात की और अलग राज्य के आंदोलन के अलग दिशा दिया। उन्होंने अपने आंदोलन से सरकार पर इतना दबाव बनाया कि 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ। इस आंदोलन के लिए शिबू सोरेन ने व्यापक जनसमर्थन तैयार किया था, जो उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

झारखंड के 3 बार मुख्यमंत्री बने शिबू सोरेनः

15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग करके झारखंड अलग राज्य बना। इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी थे, लेकिन गुरुजी ने इस राज्य की बागडोर 3 बार संभाली। शिबू सोरेन ने झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में 2005 में शपथ ली, लेकिन वे महज 10 दिन के लिए सीएम बने। इनका कार्यकाल 2 मार्च, 2005 से लेकर 11 मार्च, 2005 तक रहा। इसके बाद दूसरी बार वे 2008 में मुख्यमंत्री बने। इस दौरान इनका कार्यकाल 27 अगस्त, 2008 से 12 जनवरी, 2009 तक रहा। वहीं, तीसरी बार वर्ष 2009 में सीएम बने। इस दौरान इनका कार्यकाल 30 दिसंबर, 2009 से 31 मई, 2010 तक रहा। यह सरकार 5 महीने ही चली।

आदिवासियों के दिशोम गुरु शिबू सोरेनः

शिबू सोरेन को आदिवासी समाज दिशोम गुरु कहता है। दिशोम संताली भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है राह दिखाने वाला या पथ प्रदर्शक। इसी वजह से शिबू सोरेन को दिशोम गुरु कहा जाता है, जो उनका सबसे बड़ा नेता या गुरु है। शिबू सोरेन ने आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए आजीवन संघर्ष किया और कई बार जेल भी गए। उन्होंने आदिवासी समाज को जगाने का काम किया और उनके गुरु बने।

इसे भी पढ़ें 

Shibu Soren: शोक में डूबा झारखंड, शिबू सोरेन के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक



WhatsApp Group Join Now

Hot this week

Important Events: 14 जुलाई की महत्त्वपूर्ण घटनाएं [Important events of July 14]

Important Events: 1223 – फिलिप द्वितीय की मृत्यु के...

Jharkhand Police: झारखंड पुलिस का बड़ा अभियान: एक ही रात में 71 वांटेड गिरफ्तार, 255 वारंटों का निष्पादन

Jharkhand Police: बोकारो। बोकारो जोन के आईजी सुनील भास्कर के निर्देश पर 17 और 18 अक्टूबर की रात को उत्तरी छोटानागपुर प्रक्षेत्र के सभी...

AIMIM का दावा: बिहार में ‘किंगमेकर’ बनने की तैयारी, घोषित किए 25 उम्मीदवार

AIMIM claims: पटना, एजेंसियां। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर AIMIM ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची जारी कर राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। पार्टी...

Priya Tendulkar: प्रिया तेंदुलकर के ‘रजनी’ सीरियल के एक एपिसोड ने भड़का दिया था मुंबई के टैक्सी ड्राइवरों को,...

Priya Tendulkar: मुंबई, एजेंसियां। टीवी और थिएटर की मशहूर अभिनेत्री प्रिया तेंदुलकर ने केवल अपनी अदाकारी से ही नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता फैलाने वाले कार्यक्रमों...

Nepal youth power: नेपाल में युवा शक्ति की नई पहल: Gen Z बना रहा नया राजनीतिक दल

Nepal youth power: काठमांडू, एजेंसियां। नेपाल में युवाओं के प्रतिनिधित्व वाले Gen Z समूह ने राजनीतिक मोर्चे पर कदम रखने का ऐलान किया है। समूह...

Banke Bihari: बांके बिहारी मंदिर का खजाना खुला लेकिन निराशा ही हाथ लगी, खाली बॉक्स और बर्तन ही दिखे

Banke Bihari: मथुरा, एजेंसियां। श्री बांके बिहारी मंदिर का तोषखाना 54 वर्षों के बाद शनिवार को धनतेरस के अवसर पर खोला गया, लेकिन...

Public health: लोगों की सेहत पर खतरा: धनबाद में मिलावटी लड्डू फैक्ट्री का भंडाफोड़, संचालक गिरफ्तार

Public health: धनबाद। त्योहारों के सीजन में मिठाईयों की मांग बढ़ने के बीच धनबाद में मिलावटी लड्डू बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ है। फूड...

Bihar Election: बिहार चुनाव में महागठबंधन को झटका, VIP उम्मीदवार का नामांकन कुशेश्वरस्थान सीट से रद्द

Bihar Election: दरभंगा। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। दरभंगा की कुशेश्वरस्थान सीट से विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के उम्मीदवार...

Ranchi police: त्योहारों पर बढ़ी चोरी की घटनाओं को रोकने रांची पुलिस ने मांगी जनता की मदद

Ranchi police: रांची। दीपावली और छठ जैसे बड़े त्योहारों में अधिकांश लोग अपने परिवार के साथ घर से बाहर चले जाते हैं। ऐसे समय...
spot_img

Related Articles

Popular Categories