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रांची। सावन की अंतिम सोमवारी पर राज्य के शिवालयों में भक्तों की लंबी कतारें दिख रही हैं। सुबह से ही श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए उमड़ रहे हैं। सावन के आखिरी और चौथे सोमवार पर देवघर के बाबाधाम और रांची के पहाड़ी मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। पिछली तीन सोमवारियों की तरह आज भी लाखों कांवड़िये बाबा धाम पहुंचे हैं। सुबह सरकारी पूजा के बाद 4:10 बजे आम भक्तों के लिए मंदिर के पट खोल दिए गए।
पहाड़ी मंदिर में सुबह 4 बजे से लगी है लाइनः
वहीं, झारखंड के सभी शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। रांची स्थित पहाड़ी मंदिर में भी सुबह से भक्तों की भीड़ लगी हुई है। भगवान भोले के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु कतार में खड़े होकर आगे बढ़ रहे हैं। पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

जिला प्रशासन अलर्ट मोड परः
आम भक्तों के लिए मंदिर का पट खोलने से पहले विशेष पूजा-अर्चना की गई। बाबा को सबसे पहले कांचा जल स्नान कराया गया। इसके बाद षोडषोपचार के साथ पूजा की गई। इसके बाद जलार्पण शुरू हुआ। मेले की अंतिम और चौथी सोमवारी होने की वजह से जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर है।
पवित्र माह है सावनः
श्रावण माह को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इसी माह में समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें निकले हलाहल विष को महादेव ने ग्रहण किया था। महादेव के कंठ में जलन होने पर उन्हें गंगाजल और बेलपत्र दिया गया था। तब से श्रावण माह में भगवान भोलेनाथ को जल अर्पण कर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
108 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं कांवड़ियेः
देवघर का यह मेला सबसे लंबी दूरी वाला माना जाता है। कांवड़िये बिहार के सुल्तानगंज की उत्तर वाहिनी गंगा से जल लेकर 108 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं। इसके बाद वे देवघर पहुंचकर बाबा भोलेनाथ पर जलार्पण करते हैं।
सोमवारी के दिन कांवड़ियों की कतार मंदिर से लगभग 5 से 8 किलोमीटर दूर तक पहुंच जाती है। आज भी कांवड़ियों का निरंतर आगमन जारी है और पूरा बाबा नगरी हर-हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान है।
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