Kargil Day 2025:
रांची। कारगिल विजय दिवस, हर साल 26 जुलाई को वीर सपूतों की याद में मनाया जाता है, जिन्होनें 1999 के युद्ध में देश की रक्षा में अपना जान न्योछावर कर दिया। ना सिर्फ देश के बल्कि झारखंड के वीर सपूतों ने भी इस दिन देश के लिए अपनी जान की कुरबानी दे दी थी।
कारगिल विजय दिवस पर जब पूरा देश अपने शहीदों को नमन कर रहा है, तब झारखंड भी गर्व से उन सपूतों को याद कर रहा है, जिन्होंने 1999 में देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह युद्ध केवल सीमाओं की रक्षा नहीं, बल्कि मातृभूमि से अटूट प्रेम और बलिदान का मिसाल था।
रांची का वीर: शहीद नायक विजय साव
रांची जिले के पिठोरिया गांव के रहने वाले नायक विजय साव ने कारगिल युद्ध में दुश्मनों के सामने डटकर मुकाबला किया। 5/11 गोरखा राइफल्स में तैनात विजय साव ने टाइगर हिल पर चढ़ाई के दौरान गोली लगने के बावजूद अपने हथियार नहीं छोड़े। वे वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन उनके बलिदान ने भारतीय सेना को टाइगर हिल की जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।
उनकी स्मृति में गांव के चौक का नाम बदलकर “शहीद विजय साव चौक” कर दिया गया है और हर साल यहां श्रद्धांजलि सभा आयोजित होती है।
गुमला के शहीद – लांस नायक रामदास उरांव
गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड के रहने वाले लांस नायक रामदास उरांव भी कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे। वे पाकिस्तानी बंकरों को उड़ाने वाले ऑपरेशन में अग्रिम पंक्ति में थे। विस्फोट के दौरान वे गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में शहीद हो गए।
आज उनके गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है और पंचायत भवन का नाम उनके नाम पर रखा गया है।
अन्य वीर सपूतों की कहानियाः
दुमका के राइफलमैन मनोज हांसदा, हजारीबाग के लांस नायक प्रभाकर सिंह, और चाईबासा के नायक सुशील केरकेट्टा जैसे नाम भी इस युद्ध में झारखंड के योगदान को अमर करते हैं। इनमें कई ऐसे हैं जो आज भी सेना में सेवा दे रहे हैं और अपने अनुभवों से युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं।
श्रद्धांजलि और प्रेरणाः
आज भी झारखंड के स्कूलों, कॉलेजों और पंचायत स्तर पर इन शहीदों की स्मृति में रैली, पुष्पांजलि सभा और निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
कारगिल विजय दिवस ना केवल हमारी जीत का प्रतीक है, बल्कि उन गुमनाम वीरों को याद करने का दिन है, जिन्होंने अपने गांव, राज्य और देश का नाम रोशन किया।
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