Supreme Court:
नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा में 15 साल की नाबालिग को जिंदा जलाए जाने की घटना पर कहा, ‘हम शर्मिंदा हैं।‘ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने सोमवार को कहा कि ग्रामीण इलाकों की स्कूली लड़कियों, घरेलू महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए।
कोर्ट ने केंद्र और सभी पक्षों से ठोस सुझाव मांगे हैं। कोर्ट ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और महिला सुरक्षा पर गंभीर चिंता जताई।
इससे पहले, 12 जुलाई को ओडिशा के ही बालासोर जिले के फकीर मोहन कॉलेज में छात्रा ने आत्मदाह कर लिया था। छात्रा ने कॉलेज फैकल्टी के खिलाफ सेक्शुहअल हैरेसमेंट की शिकायत दी थी।
लड़की दिल्ली एम्स में भर्ती, हालत गंभीरः
ओडिशा के पुरी में 19 जुलाई को 15 साल की नाबालिग लड़की पर तीन लोगों ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी। लड़की की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। उसे 20 जुलाई को भुवनेश्वर एम्स से एयरलिफ्ट करके दिल्ली एम्स लाया गया था।
यहां उसे बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक के ICU में भर्ती किया गया है। डॉक्टरों की एक टीम उसकी हालत पर लगातार नजर रख रही है। लड़की को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है।
घटना पुरी जिले के बायाबर गांव में उस वक्त हुई जब पीड़ित लड़की अपनी सहेली के घर जा रही थी। तीन लोगों ने उसे रास्ते में रोका और पेट्रोल डालकर आग लगा दी। तीनों आरोपी फरार हैं। छात्रा को आग क्यों लगाई, अभी तक इसकी कोई वजह सामने नहीं आई है।
नवीन पटनायक बोले- राज्य में अपराधी बेखौफः
ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि इस घटना की मुझे बेहद पीड़ा है। दिनदहाड़े एक बच्ची को जलाने की कोशिश की गई, यह बेहद डरावनी बात है। एक हफ्ते पहले ही एफएम कॉलेज की छात्रा ने न्याय न मिलने पर खुद को आग लगा ली थी। एक महीना पहले गोपालपुर में भी एक भयानक घटना हुई थी।
पटनायक ने सवाल किया, ‘क्या अब सरकार जागेगी? क्या अपराधियों को जल्द पकड़ा जाएगा? और क्या आगे ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे? ओडिशा की बेटियां इसका जवाब चाहती हैं।’
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