Nationwide strike: 9 जुलाई को ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, सड़क पर उतरेंगे 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन [Nationwide strike of trade unions on 9th July, 10 central trade unions will take to the streets]

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नई दिल्ली, एजेंसियां। 9 जुलाई को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया है। हड़ताल में 10 ट्रेड यूनियन शामिल हैं, जो सड़कों पर उतरेंगे। इस हड़ताल को भारत के रूप में देखा जा रहा है।

क्या होगा असर?

इस हड़ताल का असर बैंकिंग, बीमा, परिवहन, डाक सेवा, कोयला खनन, फैक्ट्रियों और सरकारी दफ्तरों पर पड़ेगा। राज्य परिवहन सेवाएं बाधित हो सकती हैं और आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

Nationwide strike: मजदूर-किसान विरोधी रवैये के खिलाफ है आंदोलनः

इस हड़ताल का मकसद केंद्र सरकार की “मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और कॉरपोरेट परस्त” नीतियों का विरोध करना है। यूनियन नेताओं का कहना है कि सरकार चार नए लेबर कोड लागू करके श्रमिकों के अधिकारों को कुचलना चाहती है।
उन्होंने हाल ही में घोषित “रोज़गार आधारित प्रोत्साहन योजना (ELI)” को भी मजदूरों के लिए “नई गुलामी की व्यवस्था” बताया है।

Nationwide strike: कौन-कौन सी यूनियन शामिल हैं?

इस हड़ताल में शामिल होने वाली यूनियनें हैं:

INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF एवं UTUC

जनजीवन ठप करने की चेतावनीः

इन यूनियनों का कहना है कि हड़ताल में बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में जनजीवन पूरी तरह से ठप हो सकता है, क्योंकि वहां के किसान संगठनों, ग्रामीण मजदूर यूनियनों, NREGA संघर्ष मोर्चा और विपक्षी दलों ने भी समर्थन दिया है।

Nationwide strike: हड़ताल का कारण क्या है?

AITUC की महासचिव अमरजीत कौर ने बताया कि इस हड़ताल की घोषणा 18 मार्च को ही कर दी गई थी और सरकार को उनकी 17 मांगों की चार्टर पहले से पता थी। लेकिन, अब तक कोई ठोस बातचीत नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अब राज्यों के जरिए चार लेबर कोड लागू कराने की कोशिश कर रही है, जिससे काम के घंटे बढ़ेंगे, यूनियन की ताकत घटेगी और मालिकों को श्रम कानूनों से छूट मिल जाएगी।
CITU महासचिव तपन सेन ने कहा कि ELI योजना के नाम पर स्थायी कर्मचारियों को हटाकर प्रशिक्षु और इंटर्न लाए जा रहे हैं, जो एक तरह की “ठेकेदारी गुलामी” है।

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