Kailash-Mansarovar Yatra:
नई दिल्ली, एजेंसियां। पांच साल बाद कैलास-मानसरोवर यात्रा पुनः शुरू हो गई है। चीन के कब्जे वाले तिब्बत में स्थित कैलास पर्वत हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का केंद्र है। हिन्दू धर्म में यह भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थल माना जाता है, वहीं बौद्ध धर्म इसे बोधिसत्वों के अवतरण की भूमि मानता है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव की निर्वाण-स्थली भी कैलास है। कैलास को ब्रह्मांड का केंद्र, “दुनिया की नाभि” और स्वर्ग का द्वार कहा जाता है। इसे आकाशीय और भौगोलिक ध्रुव भी माना जाता है।
हेमंत शर्मा ने अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए
लेखक हेमंत शर्मा ने अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने बताया कि शिव का निवास कैलास और काशी दोनों स्थानों से जुड़ा है। जहां काशी को स्वर्ग जाने का मार्ग कहा जाता है, वहीं कैलास को स्वर्ग के साक्षात दर्शन के समान माना जाता है। कैलास यात्रा केवल भौतिक यात्रा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और आत्मा की गहराई में जाने की यात्रा है।
इतिहास और पुराणों
इतिहास और पुराणों में कैलास का महत्वपूर्ण स्थान है। रामायण, महाभारत और कई धार्मिक ग्रंथों में कैलास का उल्लेख मिलता है। कैलास पर्वत पर कभी कोई आरोहण नहीं करता, क्योंकि यह शिव की पवित्रता का प्रतीक है। यह पर्वत श्रद्धा का केंद्र है, न कि चुनौती। हालांकि, प्रकृति और सभ्यता के दबाव से मानसरोवर झील सिकुड़ रही है, और पर्यावरण संकट भी बढ़ रहा है। चीन द्वारा बनाईं गई सड़कें और अन्य निर्माण कार्य प्राकृतिक सौंदर्य और पवित्रता पर असर डाल रहे हैं। इन दोनों अनुभवों के बीच लेखक अपनी यात्रा के आगे के विवरण प्रस्तुत करेंगे।
इसे भी पढ़ें
Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना, जम्मू में LG मनोज सिन्हा ने हरी झंडी दिखाई