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नई दिल्ली, एजेंसियां। क्या आपने अपने पैरों की त्वचा पर नीली, लाल या बैंगनी रंग की छोटी-छोटी रेखाएं देखी हैं जो मकड़ी के जाले जैसी दिखती हैं? अगर हां, तो इसे केवल एक सौंदर्य समस्या न समझें। ये पैरों पर बनने वाले “स्पाइडर वेन्स” या मकड़ी जैसे जाले आपके शरीर में चल रही गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकते हैं। इन्हें नजरअंदाज करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है, इसलिए इन लक्षणों को पहचानकर समय रहते उपचार करवाना बेहद जरूरी है।
स्पाइडर वेन्स क्या हैं?
स्पाइडर वेन्स पैरों की त्वचा की सतह पर दिखाई देने वाली छोटी, पतली नसें होती हैं, जो लाल, नीली या बैंगनी रंग की होती हैं। ये नसें मकड़ी के जाले जैसी आकृति बनाती हैं, इसलिए इन्हें स्पाइडर वेन्स कहा जाता है। शुरू में ये नसें दर्द नहीं देतीं और सौंदर्य हीनता का कारण बनती हैं, लेकिन यह आपकी नसों और रक्त प्रवाह की समस्या का इशारा हो सकती हैं।
पैरों पर स्पाइडर वेन्स बनने के कारण
डॉ. अभिषेक रंजन के अनुसार, पैरों पर स्पाइडर वेन्स बनने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे आम विटामिन B12 की कमी है। विटामिन B12 की कमी से नसों की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, जिससे त्वचा की सतह पर ये जाले उभरने लगते हैं।
इसके अलावा, खराब ब्लड सर्कुलेशन भी इसका बड़ा कारण है। लंबे समय तक लगातार खड़े रहना या एक ही स्थिति में बैठे रहना रक्त संचार को बाधित करता है, जिससे नसें कमजोर होकर फैलने लगती हैं। महिलाओं में यह समस्या गर्भावस्था, मेनोपॉज़ या हार्मोनल असंतुलन के दौरान ज्यादा देखने को मिलती है।
लिवर की बीमारी भी स्पाइडर वेन्स की वजह बन सकती है। जिगर खराब होने पर शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे नसों पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा वैरिकोज वेन्स नामक गंभीर स्थिति में नसें सूज जाती हैं और उनमें दर्द होने लगता है।
खतरे के संकेत
स्पाइडर वेन्स केवल त्वचा की समस्या नहीं हैं, बल्कि ये अंदरूनी स्वास्थ्य की गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकते हैं। अगर इसे समय रहते नहीं सुधारा गया तो इससे नसों में सूजन, दर्द, थकान और गंभीर मामलों में रक्तस्राव भी हो सकता है। इसलिए इनके बनने पर डॉक्टर से जांच कराना बहुत जरूरी है।
बचाव और इलाज के उपाय
विटामिन B12 युक्त आहार लें: अंडे, दूध, दही, पनीर, मछली और अन्य विटामिन B12 से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।
ब्लड टेस्ट कराएं: विटामिन B12, फोलिक एसिड और लिवर फंक्शन टेस्ट जरूर करवाएं ताकि बीमारी की सही वजह का पता चले।
शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं: लंबे समय तक बैठे या खड़े न रहें। पैरों को हिलाते रहें और नियमित व्यायाम करें।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: संतुलित आहार लें, धूम्रपान और शराब से बचें।
विशेष उपचार: डॉक्टर की सलाह पर कंप्रेशन थैरेपी या लेजर थेरेपी से भी राहत मिल सकती है।
कब डॉक्टर से संपर्क करें?
अगर पैरों में सूजन, दर्द, जलन, खून बहना या त्वचा का रंग बदलना जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय रहते इलाज से बड़ी जटिलताओं से बचा जा सकता है।
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