Metro In Dino:
मुंबई, एजेंसियां। अनुराग बसु ने 18 साल बाद अपनी मशहूर फिल्म ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ की सफलता को एक नए रूप में पेश किया है। उनकी नई फिल्म ‘मेट्रो इन दिनों’ रिश्तों की नाजुक डोर और उनकी अहमियत को बखूबी बयां करती है। यह फिल्म चार अलग-अलग शहरों मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और बेंगलुरु में रहने वाले चार कपल्स की कहानियों के माध्यम से प्यार, रिश्तों, जज़्बातों और व्यक्तिगत संघर्षों को दिखाती है।
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी चार कपल्स के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनकी जिंदगी में प्यार के साथ-साथ कई परेशानियां और उलझनें भी हैं। मुंबई के मोंटी (पंकज त्रिपाठी) और काजोल (कोंकणा सेन शर्मा) का रिश्ता बाहर से खुशहाल नजर आता है, लेकिन अंदर भावनात्मक दूरी है। मोंटी के डेटिंग एप पर जाने की कोशिश, काजोल की बेटी की सेक्शुएलिटी को लेकर कन्फ्यूजन, ये सब रिश्तों की जटिलताओं को सामने लाते हैं।
कोलकाता में शिवानी (नीना गुप्ता) और संजीव (सास्वत चटर्जी) का 40 साल पुराना रिश्ता परिवार की खुशियों के लिए समझौतों की मिसाल है। शिवानी को कॉलेज के पुराने प्यार परिमल (अनुपम खेर) की याद आती है, जो फिल्म में जीवन के व्यक्तिगत सुख और परिवार की खुशियों के बीच संतुलन की कहानी कहता है।
दिल्ली में चुमकी (सारा अली खान) अपने बॉयफ्रेंड से शादी करने वाली है, लेकिन जिंदगी के फैसलों को लेकर भ्रमित है। उसकी परेशानियों में ऑफिस में बॉस की छेड़छाड़ और बेंगलुरु के पार्थ (आदित्य रॉय कपूर) के प्रति बढ़ता आकर्षण शामिल है, जो युवा पीढ़ी की उलझनों को दर्शाता है।
मुंबई में आकाश (अली फजल) और श्रुति (फातिमा सना शेख) करियर और प्यार के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में उलझे हुए हैं। श्रुति प्रेग्नेंट है और बच्चे की चाह रखती है, वहीं आकाश अपने संगीत के सपनों को भी पूरा करना चाहता है। यह कहानी आज के युग की जटिलताओं को दर्शाती है।
एक्टिंग की बात करें तो
एक्टिंग की बात करें तो, अनुपम खेर और नीना गुप्ता ने अपने किरदारों को बड़ी निपुणता से निभाया है। पंकज त्रिपाठी और कोंकणा सेन शर्मा की जोड़ी भी काबिलेतारीफ है। अली फजल और फातिमा सना शेख ने भी अच्छे अभिनय से किरदारों को जीवंत किया है। लेकिन सारा अली खान को अभी अपनी एक्टिंग में सुधार की जरूरत है, क्योंकि उनका प्रदर्शन फीका और एकरस लगता है।
स्क्रीन पर चढ़ा अनुराग का जादू
अनुराग बसु की विशेषता रही है उनके फिल्मों का संगीत, और ‘मेट्रो इन दिनों’ में भी यह कमाल का है। अरिजीत सिंह और पप्पन की आवाज ने फिल्म के गीतों को जीवंत और भावुक बना दिया है। संगीत की वजह से फिल्म के कई भावुक पल और भी गहरे महसूस होते हैं। फिल्म का निर्देशन बेहतरीन है, अनुराग बसु ने शहरों और मेट्रो की छवियों का प्रभावशाली इस्तेमाल किया है, जो कहानी को और भी प्रामाणिक बनाता है। हालांकि, फिल्म की एडिटिंग थोड़ी कमजोर लगती है और कहानी को कुछ जगहों पर जल्दी खत्म किया गया है, जिससे कुछ कहानियां अधूरी रह गई हैं।
क्यों देखें?
‘मेट्रो इन दिनों’ रिश्तों की जटिलताओं और उनकी अहमियत को एक सच्चे और भावुक अंदाज में पेश करती है। यह फिल्म हर उम्र के दर्शकों के लिए है, जो अपने परिवार और प्यार को नए नजरिए से देखने का मौका देती है। यह वीकेंड पर देखने के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है, जो आपको अपने करीबी रिश्तों को फिर से संभालने की प्रेरणा देगी।
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