रांची। झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बना गैंगस्टर अमन साव मारा गया है। छत्तीसगढ़ के रायपुर जेल से झारखंड लाते वक्त पलामू के अन्हारी ढ़ोढ़ा घाटी में मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस इसे अपराध के एक चैप्टर के खात्मे के रूप में देख रही है। झारखंड सहित बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में आतंक का पर्याय बना अमन साव ने महज 17 साल की उम्र में अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था।
घर का सबसे छोटा बेटा थाः
2 भाई, 1 बहन और माता-पिता वाले परिवार का अमन, घर में सबसे छोटा बेटा था। पुलिस की ओर से कोर्ट में दी गई एक रिपोर्ट के मुताबिक अमन ने डिप्लोमा इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। आज जिस दिन उसका एनकाउंटर हुआ है, उस दिन तक उसके सिर 150 से अधिक केस दर्ज हैं।
अमन कैसे बना गैंगस्टर
अमन साव रांची जिले के मतवे, बुढ़मू गांव का रहने वाला है। उसके परिवार में माता-पिता के अलावा उसका एक बड़ा भाई और एक बहन है। बहन की शादी हो चुकी है। वहीं परिवार का घर में किराने की दुकान है और खेतीबारी करता है।
गांव वालों से मिली जानकारी के मुताबिक किसान परिवार से आने वाले अमन ने कम उम्र में घर छोड़ दिया था। इसके बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। गांव वालों के मुताबिक अमन साव पतरातू में ही एक मोबाइल दुकान में मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता था। रातों रात बड़ा बनने की ख्वाहिश में उसने अपराध को अपनाया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसने साल 2013 में अपना गैंग बनाया।
आईटी कंप्यूटर में की है डिप्लोमा की पढ़ाईः
अमन साव के खिलाफ कोर्ट में पेश 20 पन्नों के बयान में बताया गया है कि अमन साहू और अमन साव एक ही आदमी है। उसका जन्म रांची जिले के मतवे, बुढ़मू गांव में साल 1995 में हुआ। वर्ष 2010 में उसने मैट्रिक की परीक्षा 78 फीसदी अंकों के साथ पास की।
उसके बाद इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी-कंप्यूटर साइंस में पंजाब के मोहाली से डिप्लोमा 62% अंक के साथ पास किया। साल 2012 में जब वह घर आया था। इस दौरान वह मोबाइल रिपेयरिंग का काम करने लगा था।
तब उसकी पहचान झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के तत्कालीन सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह से हुई और यहीं से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। एक कांड के दौरान वह 2015 में पहली बार जेल गया। जहां उसकी दोस्ती सुजीत सिन्हा एवं मयंक सिंह से हुई। यहीं से वह उग्रवादी संगठनों के अलावा दूसरे आपराधिक गिरोहों के संपर्क में आया।
टीपीसी के संपर्क में भी रहा है अमनः
अमन साहू उग्रवादी संगठन टीपीसी के संपर्क में भी रहा है। वह पलामू में टीपीसी के राजन जी उर्फ मुन्ना, उमेश यादव, रमेश यादव, मनोज सिंह, आशीष कुजूर, बिराज जी उर्फ राकेश गंझू के संपर्क में रहा है। इसके अलावा वह झारखंड जन मुक्ति मोर्चा, पीएलएफआई और झांगुर ग्रुप के साथ भी काम कर चुका है।
लॉरेंस विश्नोई से संपर्क, 150 से अधिक मामले का आरोपी
अमन साव ने अपराध की दुनिया में अपना कद इतना बड़ा कर लिया था कि न केवल झारखंड और उसके पड़ोसी राज्य, बल्कि कनाडा और मलेशिया तक कनेक्शन बना लिए। पिछले कुछ सालों से वह घटनाओं को अंजाम देने के बाद अपने गुर्गों से सोशल मीडिया के माध्यम से जिम्मेदारी लेने लगा था।
कनाडा से हैंडल होता है फेसबुक एकाउंटः
बताया जाता है कि गैंगस्टर अमन साहू का फेसबुक अकाउंट अमन सिंह नाम का व्यक्ति हेंडल करता है। वह फिलहाल कनाडा से ऑपरेट कर रहा है। वहीं दूसरा अकाउंट मलेशिया से सुनील राणा नाम का शख्स देखता है। राजस्थान का रहने वाला सुनील मीणा लॉरेंस का दोस्त है। फिलहाल सुनील मीणा अजरबैजान पुलिस की गिरफ्त में है। इसे ही लॉरेंस और अमन के बीच की कड़ी माना जाता है।
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