रांची। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या है। त्रिवेणी, नव पंचम और सिद्ध योग का विशेष संयोग इस बार मौनी अमावस्या को खास बना रहा है। मौनी अमावस्या को माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और ग्रहदोष समाप्त होते हैं। इस दिन भक्त पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद पूरे दिन मौन व्रत का पालन भी करते हैं।
मौनी अमावस्या पर मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध ग्रह के योग से त्रिवेणी योग का निर्माण होगा। मौनी अमावस्या को राज्य के प्रमुख नदी, डैम और तालाबों में लोग पवित्र स्नान भी करेंगे।
डोरंडा स्थित तेलोडीह ग्राम निवासी पंडित अजय कुमार मिश्र ने बताया कि इस दौरान देव गुरु बृहस्पति अपनी नवम दृष्टि से तीनों ग्रहों को देखेंगे। इससे नव पंचम योग का निर्माण होगा।
साथ ही इस दिन सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है। इस योग में किए गए सभी कार्य सिद्ध होते हैं। इस योग का संयोग 28 जनवरी की रात 12:15 बजे से 29 जनवरी की रात 10:25 बजे तक रहेगा।
इस दिन दान, तप, व्रत और कथा करने का है विधान पंडित अजय कुमार मिश्र ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन स्नान, दान, तप, व्रत कथा और पाठ करने का विधान है। इस दिन यज्ञ और कठोर तपस्या करने से फल की प्राप्ति होती है। इस दिन किया गया दान शनि के दुष्प्रभावों से भी बचाता है।
माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। मौनी अमावस्या पर जरूरतमंदों और गरीबों को दान देना चाहिए। इस दिन निस्वार्थ भाव से कार्य करना शुभ माना गया है।
महाकुंभ में भी डुबकी लगाने जाएंगे श्रद्धालुः
इस बार महज संयोग है कि मौनी अमावस्या के दौरान प्रयागराज में महाकुंभ आयोजित है। उस दिन राज्य से काफी श्रद्धालुओं की भीड़ प्रयागराज के संगम में स्नान करने के लिए जाएंगी। इसे लेकर ट्रेनों और बसों में पहले से ही सारी बुकिंग फुल है।
श्रद्धालु स्नान करने के बाद करते हैं बात:
माघी अमावस्या के दिन गृहस्थ जीवन जीने वाले सुबह उठने के बाद चुपचाप नहाते हैं। स्नान और घर में अलग से रखे चावल आदि दान के सामान को छूने के बाद ही बातचीत करते हैं।
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