रांची। झारखंड कैडर के तीन आईपीएस अधिकारियों – मनविंदर सिंह भाटिया तदाशा मिश्रा और संपत मीणा को डीजी रैंक में पदोन्नत किया जाएगा।
भाटिया वर्तमान में सीआरपीएफ में आईजी एडमिन हैं जबकि मीणा सीबीआई में संयुक्त निदेशक हैं। मिश्रा भी 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। राज्य सरकार केंद्र से इन अधिकारियों की झारखंड वापसी के लिए पत्राचार कर सकती है।
दो महीने के भीतर झारखंड कैडर के दो आईपीएस अधिकारियों मनविंदर सिंह भाटिया व संपत मीणा को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस बुलाया जा सकता है। 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी एमएस भाटिया वर्तमान में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और सीआरपीएफ में आईजी एडमिन हैं।
वहीं, 1994 बैच की आईपीएस अधिकारी संपत मीणा सीबीआई में संयुक्त निदेशक हैं। ये डीजी रैंक में प्रोन्नत होंगे। 1994 बैच की ही तदाशा मिश्रा भी डीजी रैंक में प्रोन्नत होंगी। सूचना है कि केंद्रीय प्रतिनियुक्ति वाले इन अधिकारियों की झारखंड वापसी के लिए राज्य सरकार केंद्र से पत्राचार कर सकती है।
झारखंड में अधिकारियों का टोटाः
इसकी सबसे बड़ी वजह अगले महीने झारखंड पुलिस में वरिष्ठ पदों पर होने जा रहे अधिकारियों का टोटा होना है। जनवरी में एक साथ डीजी रैंक में तीन पद खाली होने जा रहे हैं।
इनमें 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह के अलावा 1992 बैच के आरके मल्लिक व 1993 बैच के मुरारी लाल मीणा शामिल हैं।
तीनों वर्तमान में डीजी रैंक के अधिकारी हैं। इतना ही नहीं, आईजी रैंक में भी एक पद रिक्त होने जा रहा है। 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी आईजी जैप के पद पर पदस्थापित राजकुमार लकड़ा भी जनवरी में सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
डीजी रेल व पुलिस हाउसिंग के प्रमुख का पद होगा खालीः
तीनों डीजी के सेवानिवृत्ति के बाद फरवरी से कई महत्वपूर्ण पदों के प्रमुख का पद खाली हो जाएंगे। राज्य में सीआइडी के डीजी अनुराग गुप्ता हैं। उनके पास झारखंड पुलिस के डीजीपी व एसीबी के डीजी का अतिरिक्त प्रभार है।
अजय कुमार सिंह झारखंड पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हैं। मुरारी लाल मीणा डीजी रेल हैं। आरके मल्लिक डीजी मुख्यालय हैं। राजकुमार लकड़ा आईजी जैप हैं। ऊंचे पदों वाले चार पदाधिकारियों की सेवानिवृत्ति के बाद चारों पद रिक्त हो जाएंगे।
फरवरी से झारखंड पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, डीजी रेल, डीजी मुख्यालय व आइजी जैप का पद खाली हो जाएगा। डीजी एसीबी व डीजीपी का पद पहले से प्रभार में है।
इस प्रकार जब तक स्थाई व्यवस्था नहीं हो जाती है तब तक जो अधिकारी बचेंगे उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इन पदों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा जा सकता है।
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