नयी दिल्ली : भारत से ले जाए गए पुरावशेषों की वापसी को प्राथमिकता बताते हुए सरकार ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 1976 से अब तक विदेशों से 357 भारतीय प्राचीन वस्तुएं प्राप्त की हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बृहस्पतिवार को यह भी बताया कि इन पुरावशेषों में से 344 धरोहरें 2014 के बाद एएसआई के सुपुर्द की गई हैं।
रेड्डी ने कहा कि पुरावशेष का पता चलने पर उसे हासिल करने के लिए मामले में एएसआई के साथ संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसी समन्वय करती है।
उन्होंने कहा कि ‘पुरावशेष और कला खजाना अधिनियम, 1972’ की धारा 3 भारत के बाहर पुरावशेषों के निर्यात पर रोक का प्रावधान करती है।
उन्होंने कहा कि देश के भीतर पुरावशेषों के व्यवसाय को विनियमित करने के लिए ‘पुरावशेष और कला खजाना अधिनियम, 1972’ के प्रावधानों के अनुसार एएसआई लाइसेंसिंग अधिकारियों की नियुक्ति या प्रतिनियुक्ति करता है।
रेड्डी ने कहा कि पुरावशेषों के संरक्षण, देखभाल, उनकी पुन:प्राप्ति के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए समय समय पर जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशालाएं, सेमिनार और प्रदर्शनियां आयोजित किए जाते हैं।
भारत से ले जाए गए भारतीय मूल के पुरावशेषों को वापसी को सरकार की प्रतिबद्धता बताते हुए रेड्डी ने कहा कि प्राचीन धरोहरों को पुन: प्राप्त करने के लिए एएसआई विदेश मंत्रालय के माध्यम से विदेशों में भारतीय दूतावासों या मिशनों के साथ मामला उठाता है।
भारत साझा अभिलेख भंडार (भारतश्री) की स्थिति और प्रगति पर पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में रेड्डी ने कहा कि एएसआई ने भारतश्री परियोजना के तहत भारतीय अभिलेखों के कुल 67,461 संग्रह लिए जिनमें से 29,260 को डिजिटल कर दिया गया है।
रेड्डी ने कहा कि परियोजना के लिए कोई अलग बजट आवंटित नहीं किया गया है और पूरा व्यय भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आवंटित धन से किया गया है।
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