दिनांक – 06 दिसम्बर 2024
दिन – शुक्रवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – मार्गशीर्ष
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पंचमी दोपहर 12:07 तक तत्पश्चात षष्ठी
नक्षत्र – श्रवण शाम 05:18 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग – ध्रुव सुबह 10:43 तक तत्पश्चात व्याघात
राहुकाल – सुबह 11:08 से दोपहर 12:30 तक
सूर्योदय 06:14
सूर्यास्त – 5:35
दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे
व्रत पर्व विवरण – स्कंद षष्ठी
विशेष- पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
स्फूर्तिदायक पेय
2 चम्मच मेथीदाना 200 मि.ली. पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह धीमी आँच पर चौथाई पानी शेष रहने तक उबालें। छानकर गुनगुना रहने पर 2 चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर पियें। दिन भर शक्ति व स्फूर्ति बनी रहेगी।
चिंता, कष्ट, बीमारी निवृति के लिए
जिनके घर में चिंता, कष्ट और बीमारी ज्यादा है | भविष्य पुराण में आया है की मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी माने 08 दिसम्बर 2024 को रविवार के दिन सुबह सूर्य भगवान को तिल के तेल का दीपक दिखाये अर्घ्य दे |
सूर्य भगवान को अर्घ्य दो तो इस भाव से – मन में एक बार स्मरण कर लेना की भगवत गीता में आपने कहाँ है – “ज्योति श्याम रविरंशुमान” ये ज्योतियों में सूर्य मै हूँ …. तो मेरा अर्घ्य स्वीकार करो
| मेरा ये प्रणाम स्वीकार करें |
तो उस दिन लोटे में चावल, तिल, कुंम-कुम, केसर डालकर अर्घ्य दें | केसर न हो तो ऐसे ही कुंम-कुम डाल दें अर्घ्य दें, तिल का दिया दिखा दें |
फिर घर में भोजन बने और सब खाये उसके पहले दही और चावल थाली में लेकर सूर्य भगवान को भोग लगाये और प्रार्थना करें हमारे घर में आपके लिए ये प्रसाद तैयार किया है ये नैवेद्य आप सूर्य भगवान स्वीकार करें और हमारे घर में सब प्रकार से आनंद छाया रहे, सब निरोग रहें, दीर्घायु बने
| ऐसा करके उनको भोग लगाये और प्रसाद थोडा-सा छ्त पर रख दें घर के लोग भी प्रसाद में दही-चावल खुद भी खा लें |
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