दिनांक – 09 नवम्बर 2024
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – कार्तिक
पक्ष – शुक्ल
तिथि – अष्टमी रात्रि 10:45 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – श्रवण सुबह 11:47 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग – वृद्धि 10 नवम्बर प्रातः 04:23 तक तत्पश्चात ध्रुव
राहुकाल – सुबह 09:34 से सुबह 10:58 तक
सूर्योदय 06:07
सूर्यास्त – 5:47
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – गोपाष्टमी,पंचक (आरंभ : रात्रि 11:27)
विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
अक्षय फल देनेवाली अक्षय नवमी
कार्तिक शुक्ल नवमी (10 नवम्बर 2024) रविवार को ‘अक्षय नवमी’ तथा ‘आँवला नवमी’ कहते हैं। अक्षय नवमी को जप, दान, तर्पण, स्नानादि का अक्षय फल होता है। इस दिन आँवले के वृक्ष के पूजन का विशेष महत्व है। पूजन में कर्पूर या घी के दीपक से आँवले के वृक्ष की आरती करनी चाहिए तथा निम्न मंत्र बोलते हुये इस वृक्ष की प्रदक्षिणा करने का भी विधान है :
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे पदे ।।
इसके बाद आँवले के वृक्ष के नीचे पवित्र ब्राम्हणों व सच्चे साधक-भक्तों को भोजन कराके फिर स्वयं भी करना चाहिए। घर में आंवलें का वृक्ष न हो तो गमले में आँवले का पौधा लगा के अथवा किसी पवित्र, धार्मिक स्थान, आश्रम आदि में भी वृक्ष के नीचे पूजन कर सकते है ।
कई आश्रमों में आँवले के वृक्ष लगे हुये हैं। इस पुण्यस्थलों में जाकर भी आप भजन-पूजन का मंगलकारी लाभ ले सकते हैं।
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