रांची : डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज एंड में शुक्रवार को इंग्लिश फॉर बिगनर्स विषय पर विभागीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर आरपी महतो ने कहा कि मौखिक भाषा का ईजाद सम्भवतः अंधकार ने कराया था। बॉडी लैंग्वेज रोशनी की बात थी। अंधेरे में मौखिक संकेतों के अलावा और कोई हल नहीं था, जिससे संवाद स्थापित हो सके। इंग्लिश लैंग्वेज और लिटरेचर की महत्ता पर उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। साहित्य प्रेमी सत्ता और समाज अच्छे लेखकों को गढ़ता है।
मसलन साहित्यप्रेमी क्वीन एलिजाबेथ के वक्त इंग्लैंड में साहित्य पनपा और पनपे विलयम शेक्सपियर जैसे रचनाकार। रचनाकाल और थियेटर के मद्देनजर वह इंग्लैंड का स्वर्णिम काल था। उन्होंने अंग्रेज़ी के उद्भव एंग्लो सैक्शन काल से लेकर क्रमानुसार महत्वपूर्ण लेखकों जैसे जेफ्री चौसर, फ्रांसिस बेकन, ट्स इलियट तथा उनके चर्चित पुस्तकों पर विस्तार से बात की। फ्रांसिस बेकन के निबंध ऑफ़ स्टडीस को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि पढ़ना इंसान को पूर्ण बनाता है, पढ़कर संवाद करना आपको प्रायोगिक बनाता है, और पढ़कर आप लिखते हैं तो आप शत प्रतिशत परफेक्ट बन जाते हैं।
“लैंग्वेज लर्निंग के चार स्किल – एल ( लिसनिंग) , एस ( स्पीकिंग), आर( रीडिंग) डब्ल्यू ( राइटिंग) के बारे में भी उन्होंने विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एक अच्छा लेखक बनने के लिए सुनने, बोलने और अनवरत पढ़ने कि आवश्यकता होती है, तभी परफेक्शन हासिल होती है। उन्होंने अपने सन्ना यूनिवर्सिटी ,रिपब्लिक ऑफ यमन के भी अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक हमेशा एक छात्र ही होता है। लगातार सीखते रहने का गुण शिक्षक को और श्रेष्ठ बनाता है।
मौके पर ई एल एल के कॉर्डिनेटर डॉ विनय भरत ने कार्यक्रम का विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि छात्र शिक्षक के सम्बंध वक्त के साथ ओपन होते चले गए, लेकिन ज्ञान क्लोज़ होता चला गया। पहले ज्ञान के घने आवरण में शिक्षक अपनी आभा मंडल मात्र से ही ज्ञान के प्यास जगा देते थे। हम छात्र भी एक -एक अंक पाने के लिए एक -एक किताब पढ़ डालते थे। मौ के पर विभाग के शिक्षक सौरभ मुखर्जी ( मंच संचालन) , कर्मा कुमार , श्वेता गौरव तथा शुभांगी रोहतगी सहित लगभग 350 विद्यार्थी मौजूद थे।
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