रांची : झारखंड-बिहार के मुद्रा संग्राहक अमरेंद्र आनंद को शुक्रवार को न्यूमिस्मैटिक सोसाइटी ऑफ कोलकाता ने सम्मानित किया। कोलकाता में आयोजित कार्यक्रम संस्था ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर तथा यादगार मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।
ये सम्मान उन्हें बिहार-झारखंड के सबसे बड़े संग्रहकर्ता तथा खुद का संग्रहालय स्थापित करने के लिए दिया गया। न्यूमिस्मैटिक सोसाइटी ऑफ कोलकाता सिक्कों के संग्रह के क्षेत्र में भारत का एक बड़ा नाम है।
इस वर्ष संस्था अपने एनुअल कांफ्रेंस की पच्चीसवीं वर्षगाठ माना रही है। गौरतलब है कि एलआईसी में डेवलपमेंट ऑफिसर के पद से रिटायर अमरेंद्र आनंद पिछले पांच दशकों से पुराने करेंसी और सिक्के इकट्ठा कर रहे हैं।
आज उनके कलेक्शन में देश में चली अब तक की हर प्रकार की करेंसी के साथ-साथ पहली शताब्दी से लेकर आज तक के सैकड़ों प्रकार के सिक्के शामिल है। कोयलांचल धनबाद स्थित कुसुम विहार स्थित अपने घर के एक विशेष संग्रहालय में अपने हाथ से ही बनायी 18 फाइलों में उन्होंने अपने संग्रह को बड़े ही सलीके और जतन से सहेज रखा है।
उनके संरक्षित संग्रह में दुर्लभ सिक्के, मुद्रा, त्रुटि पूर्ण नोट्स, चेक, हुकुमनामा और फैंसी नोट्स शामिल हैं। आनंद के पास कुषाण युग, ख़िलजी काल, चोल, उज्जैन और विजयनगर राज्यों के सिक्के सुरक्षित हैं। मौर्य, मगध और दिल्ली सल्तनत से पञ्च चिह्नित सिक्के भी उनके संग्रहालय में मौजूद हैं।
सेवानिवृत्त आनंद के पास विशेष सिक्के हैं, जिन्हें मंदिर टोकन कहा जाता है। इसके अलावा संग्रहालय में समकालीन त्रुटि सिक्के भी हैं। इनके संग्रह में मुद्रा नोटों में एक अना पेपर पैसा और जूनागढ़ के 1000 रुपये के नोट शामिल हैं। आनंद ने दुर्लभ हाथ से बने तिब्बती नोटों को भी काफी जतन से संग्रह कर रखा है।