दिनांक – 26 सितम्बर 2024
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – अश्विन
पक्ष – कृष्ण
तिथि – नवमी दोपहर 12:25 तक तत्पश्चात दशमी
नक्षत्र – पुनर्वसु रात्रि 11:34 तक तत्पश्चात पुष्य
योग – परिघ रात्रि 11:41 तक तत्पश्चात शिव
राहुकाल – दोपहर 02:00 से शाम 03:30 तक
सूर्योदय -05:39
सूर्यास्त- 06:02
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण – दशमी का श्राद्ध,गुरुपुष्यामृत योग (रात्रि 11:34 से 27 सितम्बर सूर्योदय तक)
विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
सर्व पित्र अमावस्या पर यहा दीपक जलाए पूर्वज विदाई करते हुए समृद्धि की वृद्धि और वंश वृद्धि आदि का देते है आशीर्वाद। इससे आपका मन लगने लगेगा।
यदि दुकान अथवा व्यवसाय-स्थल पर आपका मन नहीं लगता है तो इसके लिए आप जिस स्थान पर बैठते हैं वहाँ थोडा-सा कपूर जलायें, अपनी पसंद के पुष्प रखें और स्वस्तिक या ॐकार को अपलक नेत्रों से देखते हुए कम-से-कम 5– 6 बार ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें।
अपने पीछे दीवार पर ऊपर ऐसा चित्र लगायें जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य हो, ऊँचे –ऊँचे पहाड़ हों परंतु वे नुकीले न हों और न ही उस चित्र में जल हो अथवा यथायोग्य किसी स्थान पर आत्मज्ञानी महापुरुषों, देवी-देवताओं के चित्र लगायें। इससे आपका मन लगने लगेगा।
पितृ पक्ष
अभी पितृ पक्ष चल रहा है। अपने घर के लोग जो गुजर गये हैं। उनकी आत्मा को शांति देने के लिए इतना जरूर करें कि अब सर्व पितृ अमावस्या आयेगी, (02 अक्टूबर 2024 बुधवार को ) उस दिन गीता का 7 अध्याय पाठ करें।
सूर्य भगवान के सामने जल और अन्न ले जाकर प्रार्थना करें कि: “हे सूर्यदेव, यमराज आपके पुत्र हैं, हमारे घर के जो भी गुजर गये उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें, आज के गीता के पाठ का पुण्य उनके लिए दीजिये” पितृ गण राजी होंगे, घर में अच्छी संतान जन्म लेगी यह सर्व पितृ अमावस्या के दिन जरूर करें।