दिनांक – 15 सितम्बर 2024
दिन – रविवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि -द्वादशी शाम 06:12 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र – श्रवण शाम 06:49 तक तत्पश्चात धनिष्ठा
योग – अतिगण्ड शाम 03:14 तक तत्पश्चात सुकर्मा
राहुकाल – शाम 05:09 से शाम 06:41 तक
सूर्योदय -05:36
सूर्यास्त- 06:04
दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत
विशेष – द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
श्राद्ध पक्ष कब से कब तक रहेगे और कौन सी तिथि का श्राद्ध कब करे संपूर्ण जानकारी
षडशीति-कन्या संक्रान्ती
16 सितम्बर 2024 सोमवार को षडशीति संक्रान्ती है।
पुण्यकाल : दोपहर 12:21 से सूर्यास्त तक… जप,तप,ध्यान और सेवा का पूण्य 86000 गुना है !!!
इस दिन करोड़ काम छोड़कर अधिक से अधिक समय जप – ध्यान, प्रार्थना में लगायें।
षडशीति संक्रांति में किये गए जप ध्यान का फल ८६००० गुना होता है – (पद्म पुराण )
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