दिनांक – 11 सितम्बर 2024
दिन – बुधवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शरद ॠतु
मास – भाद्रपद
पक्ष – शुक्ल
तिथि – अष्टमी रात्रि 11:46 तक तत्पश्चात नवमी
नक्षत्र – ज्येष्ठा रात्रि 09:22 तक तत्पश्चात मूल
योग – प्रीति रात्रि 11:55 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहुकाल – दोपहर 12:35 से दोपहर 02:08 तक
सूर्योदय -05:35
सूर्यास्त- 06:04
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
श्रीराधा अष्टमी,महालक्ष्मी व्रत आरंभ,गौरी पूजन,बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 11:46 तक
विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
महालक्ष्मी पूजन की संपूर्ण जानकारी।
कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा
अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति:…… शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें |
जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है |
इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को भगाने में बड़ी मदद देगा | अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा |
जपत निरंतर हनुमत बीरा ||’ जपकर ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें | ऐसा 10 बार करें | कैसा भी रोगी, कैसा भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा |
मनोकामनापूर्ति योग
देवी भागवत में व्यास भगवान ने बताया है…. भाद्रपद मास, शुक्ल नवमी तिथि हो ….. उस दिन अगर कोई जगदंबाजी का पूजन करता है, तो उसकी मनोकामनायें पूर्ण होती है , और जिंदगी जब तक उसकी रहेगी वो सुखी और संपन्न रहेगा | इस दिन ए मंत्र का जप करें……
- ॐ अम्बिकाय नम :
- ॐ श्रीं नम :
- ॐ ह्रीं नम:
- ॐ पार्वेत्येय नम :
- ॐ गौराये नम :
- ॐ शंकरप्रियाय नम :
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