The River Ganges:
नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने गंगा नदी के किनारों पर हो रहे अवैध निर्माण और स्थायी अतिक्रमण को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वे इस संबंध में अब तक उठाए गए कदमों की विस्तृत स्थिति रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर अदालत में प्रस्तुत करें।
The River Ganges: गंगा नदी के किनारे अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम यह जानना चाहते हैं कि गंगा नदी के तटों पर अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए संबंधित अधिकारियों द्वारा अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।” न्यायालय ने अपने आदेश में 2 अप्रैल को कहा, “हम केंद्र और बिहार सरकार दोनों को निर्देश देते हैं कि वे इस विषय में एक उपयुक्त रिपोर्ट दाखिल करें ताकि हम इस मामले में आगे बढ़ सकें।
The River Ganges: गंगा नदी के तटों पर हो रहे अवैध निर्माण पर जनहित याचिका
यह मामला पटना निवासी अशोक कुमार सिन्हा द्वारा दायर एक याचिका से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के 30 जून, 2020 के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें गंगा के इको-फ्रैजाइल बाढ़ क्षेत्र पर हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण को नजरअंदाज करते हुए याचिका खारिज कर दी गई थी।
The River Ganges: बाढ़ क्षेत्र में ईको-संवेदनशील क्षेत्र पर बढ़ता खतरा
याचिकाकर्ता के वकील अक्षय वशिष्ठ ने अदालत को बताया कि गंगा नदी के तटों पर बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण हो रहा है, जिनमें आवासीय बस्तियां, ईंट भट्टे और धार्मिक संरचनाएं शामिल हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि कुछ क्षेत्रों में गंगा नदी की जैव विविधता अत्यंत संवेदनशील है और वहां दुर्लभ प्रजातियों जैसे गंगा नदी डॉल्फिन की उपस्थिति पाई जाती है, जिन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
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