Dharm adhyatm rashifal:
रांची। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में आदमी के जीवन में ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव की व्याख्या की गई है और अलग-अलग राशियों के जातकों के व्यक्तित्व की खासियत और उनके शुभ- अशुभ लग्नो के बारे में विस्तार से बताया गया है। लोगों की संख्या और उनके नाम में विभिन्नता चाहे जितनी हो, लेकिन सभी 12 राशियों के अंतर्गत ही आ जाते हैं।
जिन 12 राशियों का जिक्र ज्योतिष शास्त्र में किया गया है, उनमें कुंभ राशि की अपनी अलग खासियत होती है। इसके बारे में कहा जाता है कि इस राशि के जातकों के संपर्क में आते ही कोई व्यक्ति मोहित हो जाता है। आकर्षित हो जाता है।
Dharm adhyatm rashifal: शनि है कुंभ राशि का स्वामी ग्रह
विशेषज्ञ बताते हैं कुंभ राशि ग्यारहवें स्थान पर आने वाली राशि है। इस राशि का विस्तार 300 अंशो से 330 अंशो तक फैला हुआ है। इस राशि का स्वामी ग्रह शनि है। स्वभाव से इस राशि को स्थिर राशि में रखा गया है।
इस राशि के जातक जीवन में एक बार जो सिद्धांत बना लेते हैं, उन्हें बदलना कठिन होता है। आप सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति होते हैं। हवा की तरह स्वतंत्र विचार रखने वाले इस जाति के लोग निर्णायक तरीके से अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। ये इच्छाओ को मन में पालकर रखते हैं।
Dharm adhyatm rashifal: कुंभ राशि के जातकों के शुभ और अशुभ ग्रह
कुंभ लग्न के लिए बृहस्पति शुभ नहीं माने जाते हैं। बृहस्पति मारक भाव तथा त्रिषडाय भाव के स्वामी होते हैं। कुंभ लग्न में कर्क राशि छठे भाव में पड़ती है और चंद्रमा इसके स्वामी होते हैं इसलिए चंद्रमा षष्ठेश होकर अशुभ हो जाते हैं। इस लग्न के लिए सूर्य मारक भाव अर्थात सप्तम भाव के स्वामी बनते हैं हालांकि मारक का दोष लगता नहीं है।
Dharm adhyatm rashifal: धारण कर सकते हैं नीलमः
इस राशि वालों को शनि को टालने के लिए विशेषज्ञों की राय लेकर नीलम धारण करना चाहिए। यदि आपको नीलम महंगा लगता है तब आप इसकी जगह नीली या लाजवर्त भी पहन सकते हैं। आपके लिए पन्ना व डायमंड भी उपयोगी रत्न है।
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