Wakf Amendment Bill:
रांची। वक्फ संशोधन विधेयक 2025 लोकसभा में पास हो गया है। इस पर हुई चर्चा में कई बातें निकल कर सामने आयी है। उनमें झारखंड और शिड्युल पांच और छह के राज्यों के लिए भी काफी कुछ खास है। विधेयक में अब प्रावधान किया गया है कि वक्फ बोर्ड अब आदिवासियों की जमीन नहीं खरीद सकेगा। इसके दो अर्थ है।
आदिवासियों की जमीन खरीद कर वक्फ बोर्ड की संपत्ति बनाने का सिलसिला बंद होगा। इससे आदिवासियों की जमीन का हस्तांतरण बंद होगा। दूसरी ओर वक्फ बोर्ड को झारखंड जैसे राज्य में संपत्ति क्रिएट करना मुश्किल होगा। जमीन का विस्तार करना संभव नहीं होगा।
Wakf Amendment Bill: अब कलेक्टर रैंक से ऊपर का अफसर देखेगा जमीन विवादः
केंद्रीय अल्पसंख्य कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू के अनुसार अब कलेक्टर रैंक से ऊपर का अफसर सरकारी जमीन और किसी जमीन का विवाद देखेगा। जब वक्फ प्रॉपर्टी क्रिएट करेगा तो किसी आदिवासी एरिया में जाकर जमीन नहीं खरीद सकता। झारखंड के लिए यह प्रावधान काफी महत्व का रखता है। वक्फ अधिनियम में कई अन्य चीजें भी है।
वक्फ ट्रिब्युनल में तीन सदस्य होंगे। ट्रिब्युनल में दर्ज होनेवाले मुकदमों की सुनवाई जल्द हो और फैसला जल्द आए, इसके नियमावली में समय सीमा तय की जाएगी। बताते चलें कि झारखंड में वक्फ और आदिवासियों की जमीन को अतिक्रमित किए जाने की लगातार शिकायत मिलती है। इस अधिनियम के अधिनियमित होने के बाद इस पर अंकुश लगेगा।
Wakf Amendment Bill: झारखंड में वक्फ बोर्ड की स्थिति ठीक नहीः
झारखंड में वक्फ बोर्ड की हालत ठीक नहीं है। राज्य गठन के बाद झारखंड में जितनी भी सरकारें बनी, वक्फ बोर्ड को नजरअंदाज किया। इसी का परिणाम है कि राज्य गठन के ठीक बाद झारखंड में सुन्नी वक्फ बोर्ड का गठन होना चाहिए था।
लेकिन आठ साल बाद इसका गठन हुआ। पांच साल बाद इसका पुनर्गठन होना चाहिए था। लेकिन 2014 में इसका पुनर्गठन हुआ। 2014 के अंत में कल्याण विभाग ने बोर्ड के सदस्यों का मनोनयन कर पुनर्गठन तो कर दिया, लेकिन चेयरमैन के चुनाव को लेकर कोई पहल नहीं की गई। नतीजा पांच साल तक बोर्ड बिना चेयरमैन के चलता रहा। 2019 के बाद से वक्फ बोर्ड काफी दिनों तक निष्क्रिय रहा।
बाद में राज्य सरकार ने सांसद सरफराज अहमद को चेयरमैन बनाया। नियमावली के मुताबिक झारखंड अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय, वक्फ बोर्ड में सदस्यों का मनोनयन करता है और मनोनित सदस्यों को चेयरमैन का चुनाव करना होता है। लेकिन तीन साल गुजर जाने के बाद भी चेयरमैन तो दूर सदस्यों का मनोनयन तक भी नहीं हो पाया है।
Wakf Amendment Bill: राजस्व प्राप्ति का कोई स्पष्ट आंकड़ा नहीः
झारखंड राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड को सालाना कितना राजस्व प्राप्त होता है, इसका कोई ऑडिटेड आंकड़ा नहीं है। वैसे बोर्ड की माने तो राज्य की 152 वक्फ संपत्तियों में से महज 20-22 ही पॉपर्टी से ही राजस्व प्राप्त होता है। वह अभी अनियमित रूप से।
झारखंड वक्फ बोर्ड प्रशासन के मुताबिक, राज्य की सभी वक्फ संपत्तियों से हर साल 7 प्रतिशत राजस्व नियमित तौर प्राप्त होता तो अनुमानित राशि कम से कम प्रतिवर्ष 25 लाख होती। इसके मुताबिक 14 सालों में लगभग 3.5 करोड़ बोर्ड का राजस्व वक्फ बोर्ड को मिल गया होता। वक्फ बोर्ड की कतिपयय संपत्तियों पर अवैध कब्जा भी है।
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