नई दिल्ली, एजेंसियां। वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (Waqf Amendment Bill 2025) को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। संसद से लेकर सड़कों तक इसका विरोध हो रहा है।
विपक्षी दल इस विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इसे पारदर्शिता लाने का कदम बता रही है। लेकिन इस पूरे विवाद के बीच आम जनता के मन में एक सवाल उठ रहा है, आखिर वक्फ बोर्ड क्या है? और इसके पास कितनी संपत्ति है?
क्या है वक्फ बोर्ड?
वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संगठन है, जो इस्लामिक सिद्धांतों के तहत संचालित होता है। इसमें इस्लाम को मानने वाले लोग अपनी संपत्ति दान करते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा ज़मीनें शामिल होती हैं।
ये संपत्तियां धार्मिक उद्देश्यों के लिए दी जाती हैं, जैसे:- मस्जिदें, दरगाहें, कब्रिस्तान, मदरसे आदि। भारत सरकार के बाद वक्फ बोर्ड के पास देश में सबसे ज्यादा जमीनें हैं। वक्फ की परंपरा मुगलकाल से चली आ रही है, जब शासकों और अमीर लोगों ने धार्मिक कार्यों के लिए बड़ी मात्रा में भूमि दान दी थी।
वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति है?
वक्फ बोर्ड के पास मौजूद संपत्ति को लेकर अलग-अलग आंकड़े सामने आते हैं। वक्फ एसेट मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) के अनुसार: वक्फ के पास कुल 8.72 लाख अचल संपत्तियां हैं।
इनकी कुल ज़मीन लगभग 9 लाख एकड़ से भी ज्यादा है। संपत्तियों की अनुमानित कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जाती है। भारत में वक्फ बोर्ड के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति कैथोलिक चर्च के पास है। चर्च की ज़्यादातर ज़मीनें भी धार्मिक कार्यों के लिए दान या खरीदी गई थीं।
विवाद क्यों मचा है?
सरकार वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन के लिए वक्फ संशोधन विधेयक 2025 लेकर आई है। सरकार का कहना है कि इसका मकसद वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और पारदर्शिता लाना है।
इस संशोधन विधेयक में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं:
गैर-मुस्लिम और महिलाओं को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रस्ताव। कलेक्टर को वक्फ संपत्ति के सर्वेक्षण का अधिकार। वक्फ बोर्ड के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने का प्रावधान।
मुस्लिम समुदाय और विपक्ष का विरोध क्यों?
मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार इस विधेयक के जरिए वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण पाना चाहती है। उनका आरोप है कि यह मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। वक्फ संपत्तियों पर सरकार का दखल बढ़ जाएगा। इससे वक्फ बोर्ड की आत्म-निर्णय की क्षमता खत्म हो सकती है।
आगे क्या होगा?
सरकार का कहना है कि यह बिल धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार रोकने के लिए जरूरी है। वहीं, मुस्लिम संगठनों ने इसे अस्वीकार करने और सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है। संसद में भी इस पर तीखी बहस जारी है। अब देखना होगा कि सरकार इस बिल पर क्या रुख अपनाती है।
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