वक्फ बोर्ड एक कानूनी संस्था है जो मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा दान की गई संपत्तियों (जिन्हें “वक्फ” कहा जाता है) के प्रबंधन, देखरेख और नियंत्रण का काम करती है। वक्फ वह संपत्ति होती है जिसे कोई व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए या गरीबों, असहायों, या अन्य सामाजिक कार्यों के लिए दान करता है।
इस संपत्ति को बाद में किसी अन्य व्यक्ति के पास नहीं ट्रांसफर किया जा सकता है, और इसका उपयोग केवल उन कार्यों के लिए किया जा सकता है जिनके लिए इसे दान किया गया था।
क्या करता है वक़्फ़ बोर्ड
1. वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और प्रबंधन करना।
2. वक्फ संपत्तियों से होने वाली आमदनी का सही तरीके से हिसाब रखना।
3. वक्फ संपत्तियों को गलत तरीके से इस्तेमाल होने से बचाना।
4. वक्फ संपत्तियों की देखरेख और विकास करना।
5. वक्फ संपत्तियों पर किसी भी विवाद के मामलों को सुलझाना।
भारत में अलग-अलग राज्यों में कई वक्फ बोर्ड होते हैं, और ये बोर्ड केंद्र सरकार के अधीन काम करते हैं। वक्फ बोर्ड का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन करना और सुनिश्चित करना है कि इन संपत्तियों का इस्तेमाल सही उद्देश्यों के लिए हो।
वक्फ एक्ट 1954 का इतिहास
वक्फ एक्ट 1954 के तहत वक्फ बोर्ड की स्थापना की गई थी ताकि मुस्लिम धर्मावलंबियों की संपत्तियों का सही तरीके से प्रबंधन किया जा सके। इस कानून के जरिए उन मुसलमानों की संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड को सौंपा गया था, जो पाकिस्तान जाने के बाद भारत में बस गए थे। इसके तहत वक्फ बोर्ड को कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए थे, जैसे संपत्ति का रजिस्ट्रेशन, मैनेजमेंट और कानूनी कार्रवाई। देश में वर्तमान में करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं जो इन संपत्तियों की देखरेख करते हैं।
कितनी है वक्फ की संपत्ति
भारत में वक्फ बोर्ड के पास 7.8 लाख से ज्यादा अचल संपत्तियां हैं। इनमें सबसे ज्यादा संपत्तियां उत्तर प्रदेश के पास हैं। वक्फ बोर्ड के पास लगभग 9.4 लाख एकड़ जमीन है, जिसकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है।
मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के कानून में बदलाव क्यों कर रही है ?
भारत की मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव करना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता बताते हैं कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में लगभग 40 बदलाव करने का प्रस्ताव रख रही है। ये बदलाव सरकार की योजना को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए हैं। तो आइए जानते हैं, क्यों सरकार ये बदलाव करना चाहती है और इसके पीछे की वजहें क्या हैं ?
1. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री
वक्फ बोर्ड में अब दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे। इसका मतलब यह है कि गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में भागीदारी का अधिकार मिलेगा। साथ ही, वक्फ बोर्ड के सीईओ भी गैर-मुस्लिम हो सकते हैं। यह बदलाव वक्फ बोर्ड को और अधिक पारदर्शी और समावेशी बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
2. महिलाओं और अन्य मुस्लिम समुदायों की भागीदारी बढ़ाना
वक्फ बोर्ड में महिलाओं और अन्य मुस्लिम समुदायों की भागीदारी बढ़ाने के लिए कानून में बदलाव किए जाएंगे। प्रस्तावित बदलाव के तहत, केंद्रीय वक्फ परिषद में दो महिलाओं को सदस्य बनाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाने की बात की जा रही है। बोहरा समुदाय सामान्यतः व्यापार से जुड़ा हुआ होता है, जबकि आगाखानी इस्माइली मुसलमान होते हैं जो रोजा नहीं रखते और न ही हज जाते हैं।
3. बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाना
भारत सरकार इस कानून के तहत वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर अधिक नियंत्रण चाहती है। इसके लिए, वक्फ बोर्ड के संचालन में गैर-मुस्लिम विशेषज्ञों को शामिल करने और सरकारी अधिकारियों से वक्फ का ऑडिट कराने की योजना है। इससे वक्फ बोर्ड के पैसे और संपत्तियों का हिसाब-किताब पारदर्शी होगा। सरकार अब केंद्रीय लेखा नियंत्रक (सीएजी) के जरिए वक्फ की संपत्तियों का ऑडिट करा सकेगी, जिससे सभी वित्तीय गतिविधियां साफ और समझने योग्य होंगी।
4. वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में
नए कानूनी बदलाव के तहत वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति को जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड कराना होगा। इससे वक्फ संपत्तियों के मालिकाना हक की जांच हो सकेगी। राज्य और केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों में दखल नहीं दे सकतीं, लेकिन इस नए सिस्टम से वक्फ की जमीनों का रिकॉर्ड ट्रांसपेरेंट और स्पष्ट हो जाएगा। जिला मुख्यालयों में वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और कंप्यूटर में रिकॉर्ड बनाने से इस प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।
5. न्याय के लिए अदालत जाने का मौका मिलेगा
नए बिल के अनुसार वक्फ ट्रिब्यूनल में अब दो सदस्य होंगे और ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। इसके अलावा, वर्तमान में वक्फ बोर्ड द्वारा किसी जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित करने पर, दावा करने वाले पक्ष पर यह जिम्मेदारी होती है कि वह साबित करे कि जमीन उसकी है। नए बिल में इस मुद्दे को भी हल करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में सुधार होगा।
वक्फ बिल की समय सीमा और सरकारी रुख
वक्फ संशोधन बिल को 2 अप्रैल 2025 को संसद में पेश किया जा सकता है। इस बिल को पहले लोकसभा में पेश किया जाएगा और संसद का सत्र 4 अप्रैल तक चलेगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि इस बिल पर संसद के बाहर व्यापक चर्चा हो चुकी है, और अब इसे सदन में भी बहस के लिए पेश किया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि सरकार मुसलमानों की संपत्ति और अधिकार छीनने जा रही है, जबकि इस बिल का उद्देश्य सिर्फ पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करना है।
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