दिनांक – 20 जून 2024
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
मास – ज्येष्ठ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी सुबह 07:49 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र – अनुराधा शाम 06:10 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग – साध्य रात्रि 08:13 तक तत्पश्चात शूभ
राहुकाल – दोपहर 02:21 से शाम 04:02 तक
सूर्योदय-05:08
सूर्यास्त- 06:31
दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
व्रत पर्व विवरण – प्रदोष व्रत
विशेष – त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
21 जून को श्रंगार करते समय महिलाए इतना परहेज जरूर करे
अनिद्रा से छुटकारा
10 मिनट विधिवत श्वासन करने से या जीभ के अग्रभाग को दाँतो से थोडा दबाकर 10 मिनट तक ज्ञान मुद्रा लगा के बैठने से शारीरिक – मानसिक तनाव व अनिद्रा आदि की बीमारी दूर होती है।
वर्षा ऋतु विशेष
21 जून से वर्षा ऋतु प्रारंभ हो रही है। इसे शास्त्रीय भाषा में आदानकाल बोलते है | जठराग्नि दुर्बल होती है। वायु, गैस की तकलीफें उभरती हैं।
पित्त संचित होता है। अगर सावधान नहीं रहें तो पित्त व वात मिलकर हार्ट अटैक बना सकता है। इस आदानकाल में कब्जियत न रहे इसका ध्यान रखना चाहिए।
करने योग्य
- पेट साफ़ रहे इसके लिए हरड़ रसायन 2 2- गोली खाना। हरड रसायन , रसायन से बना हुआ टोनिक है । दिनभर खाया हुआ टोनिक बन जायेगा।
- शुद्ध वातावरण व शुद्ध जल का सेवन करना।
- मधुर भोजन, चिकनाईवाला, शरीर को बल देनेवाला भोजन करना चाहिये और दोपहर के भोजन में नींबू, अदरक, सैंधा नमक, लौकी, मैथी, खीरा, तुरई आदि खाने चाहिए।
- वर्षाऋतु में पानी गरम करके पियें अथवा तो पानी की शुद्धता का ध्यान रखें ।
- वायुप्रकोप से जोडों में दर्द बनने की संभावना है और बुढ़ापे में लकवा मारने की संभावना बढ़ जाती है। भोजन में लहसुन की छौंक लकवे से फाईट करता है।
- चर्मरोग, रक्तविकार आदि बिमारियों की इस ऋतु में संभावना बढ़ जाती है। नींबू, अदरक, गाजर, खीरा स्वास्थ्यप्रद रहेगा।
- सूर्यकिरण स्नान सभी ऋतुओं में स्वास्थ्य के लिए हितकारक है।
- अश्विनी मुद्रा- श्वांस रोककर योनि संकोच लेना और मन में भगवान का जप करना इस सीज़न की बीमारियों को भगाने की एक सुंदर युक्ति है।
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