चेन्नई, एजेंसियां। चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में परिसीमन को लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों की बड़ी बैठक हुई, जिसमें केरल, तेलंगाना, पंजाब, कर्नाटक और ओडिशा के नेताओं ने हिस्सा लिया। इन नेताओं ने जनसंख्या-आधारित परिसीमन के साइड इफेक्ट गिनाते हुए इसका कड़ा विरोध किया।
काफी सारे नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी
तमिलनाडु सीएम एम.के. स्टालिन ने कहा, “परिसीमन उन राज्यों के लिए नुकसानदायक होगा जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण को अपनाया। इससे हमें केंद्र से फंड लेने में मुश्किल होगी और संसद में हमारी ताकत घटेगी।”
केरल सीएम पी. विजयन ने कहा, “बीजेपी बिना किसी परामर्श के परिसीमन को आगे बढ़ा रही है, जिससे दक्षिण राज्यों की सीटें घटेंगी और उत्तर भारत की सीटें बढ़ेंगी।”
तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी, “यह दक्षिण राज्यों को जनसंख्या नियंत्रण और विकास की सजा देने जैसा होगा। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।”
कर्नाटक डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार ने कहा, “हमने परिवार नियोजन को अपनाकर देशहित में काम किया, लेकिन अब परिसीमन के जरिए हमें ही नुकसान पहुंचाया जा रहा है।”
पंजाब सीएम भगवंत मान ने कहा, “बीजेपी जहां जीत रही है, वहां सीटें बढ़ाना चाहती है और जहां हार रही है, वहां घटाना चाहती है।”
ओडिशा से बीजद प्रमुख नवीन पटनायक ने कहा, “परिसीमन जनसंख्या के आधार पर लागू करना दक्षिण राज्यों के साथ अन्याय होगा।”
क्या है परिसीमन का मुद्दा?
भारत में 2026 के बाद परिसीमन लागू होने की संभावना है। इसमें जनसंख्या के आधार पर लोकसभा सीटों का पुनर्वितरण किया जाएगा। उत्तर भारतीय राज्यों (यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान) में जनसंख्या अधिक होने के कारण उनकी लोकसभा सीटें बढ़ सकती हैं
जबकि दक्षिण भारतीय राज्यों (तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना) की सीटें कम होने का खतरा है। इसी कारण दक्षिण भारत के राज्य इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट हो गए हैं।
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