ये रहेंगे बंद से मुक्त
रांची। रांची के सिरम टोली फ्लाईओवर रैंप विवाद को लेकर आदिवासी संगठनों ने 22 मार्च को रांची बंद का अह्वान किया है। इस दिन संगठन के सदस्य सुबह से ही सड़क पर उतरकर चक्का जाम करके राजधानी को बंद करवायेंगे।
हालांकि आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों, अस्पताल संचालकों, दवा दुकान के कर्मियों, एबुलेंस चालकों और मरीजों को इस बंद से मुक्त रखा गया है। बंद का समर्थन करने वाले लोगों ने भी इसे सफल बनाने के लिए राजधानीवासियों से सहयोग की अपील की है।
आदिवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर सरना स्थल के पास से रैंप नहीं हटाया गया तो वे कोर्ट जायेंगे।दूसरी तरफ बंद के दौरान किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए रांची प्रशासन भी अलर्ट है।
बंद को किन किन संगठनों ने किया समर्थनः
बंद का झारखंड चेंबर, अंजुमन इस्लामिया, रोस्पा टावर दुकानदार संघ, ऑटो रिक्शा चालक संघ, बस चालक संचालक, मेन रोड दुकानदार और क्रिशचयन माइनॉरिटी फ्रंट जैसे संगठनों का समर्थन प्राप्त है।
मशाल जुलूस निकाला गया। शुक्रवार को दोपहर बाद बंद समर्थकों द्वारा मशाल जुलूस निकाला गया। आदिवासी संगठनों ने राज्य सरकार को इस आंदोलन का जिम्मेदार बताया है।
जय आदिवासी केंद्रीय परिषद के अध्यक्ष निरंजना हेरेंज टोप्पो ने कहा कि संथाल आदिवासियों के धार्मिक स्थल मरांग बुरु पर बाहरी तत्वों ने कब्जा जमा लिया है, जिससे आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त है।
वहीं, युवा आदिवासी नेता राहुल तिर्की ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा और बाबा कार्तिक उरांव के नाम से जुड़े सरहुल महोत्सव सह शोभायात्रा को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है, जो आदिवासी समाज की आस्था पर प्रहार है।
सरहुल महोत्सव हमारे पूर्वजों की धरोहर : पवन तिर्की
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष पवन तिर्की ने कहा कि सरहुल महोत्सव और शोभायात्रा हमारे पूर्वजों की धरोहर है और इसे किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाएगा।
वहीं, आदिवासी मूलवासी मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सूरज टोप्पो ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि अगर रांची में बन रहे फ्लाईओवर का रैंप सरना स्थल के सामने से नहीं हटाया गया, तो आदिवासी समाज इसके निर्माण को पूरा नहीं होने देगा और उद्घाटन भी नहीं होने देगा। यदि जरूरत पड़ी तो इस मुद्दे को लेकर न्यायालय का भी दरवाज खट-खटया जाएगा।
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