Tuesday, June 24, 2025

मुद्दों को उठाने में विफल बीजेपी [BJP failed to raise issues]

झारखंड विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दल बीजेपी को राज्य सरकार पर राजनीतिक हमले का बड़ा मौका मिला, लेकिन पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने इन मुद्दों पर मामूली बयानबाजी के अलावा लगभग मौन ही धारण किया। भाजपा में इस समय पूर्व मुख्यमंत्रियों की पूरी फौज है।

इनमें प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और चम्पाई सोरेन शामिल हैं, लेकिन सदन से बाहर या अंदर विपक्ष गंभीरता से इन मुद्दों उठाने में चूक गया। पहला मुद्दा था मैट्रिक पेपर लीक, दूसरा खूंटी में हुआ सामूहिक दुष्कर्म और तीसरा हजारीबाग हिंसा। परंतु इन मुद्दों पर न तो कोई पूर्व मुख्यमंत्री आगे आए न ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष में से किसी ने सड़क पर उतरकर इसका विरोध किया।

प्रदेश नेतृत्व ने इसके लिए कोई योजना ही नहीं बनाई। रूटीन कार्रवाई की तरह प्रदेश प्रवक्ताओं ने बयान जारी कर विपक्ष की भूमिका निभा ली। बहुत हुआ तो कुछ बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया पर बयानबाजी कर दी। भला हो उन विधायकों का जिन्होंने सदन के बाहर थोड़ा बहुत प्रदर्शन कर विरोध जरूर जताया।

सीपी सिंह और सत्येंद्र तिवारी ने संभाला मोर्चाः

विधानसभा में बाबूलाल मरांडी और चम्पाई सोरेन ने अपना विरोध औपचारिक ही रखा, लेकिन विधायक सीपी सिंह और सत्येंद्र तिवारी ने सरकार पर सीधे हमला किया।
हजारीबाग हिंसा के मामले में बरकट्ठा विधायक अमित यादव ने इंटरनेट मीडिया पर मंत्री इरफान अंसारी को चुनौती जरूर दी, लेकिन सड़क पर भाजपा कोई आक्रोश नहीं दिखा सकी। प्रदेश प्रवक्ता बयानों के जरिये राजनीतिक आक्रमण करते रहे।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने हजारीबाग के मुद्दे को उठायाः

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने एक बयान जारी कर कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति के लिए झारखंड प्रयोगशाला बन चुका है। हजारीबाग की हिंसा को लेकर साह ने हैरानी जताई कि जहां दोषियों की पहचान स्पष्ट हो चुकी है, वहां भी सरकार के एक मंत्री हिंदू समाज को परोक्ष रूप से धमकाने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने आगाह किया कि यदि झारखंड सरकार जल्द ही अपनी तुष्टीकरण की नीतियों को नहीं छोड़ती, तो राज्य पूरी तरह उपद्रवियों की चपेट में आ जाएगा। सरकार की तुष्टीकरण की नीतियों ने झारखंड में अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों को पैर पसारने का अवसर दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि अब तक सरकार के किसी भी मंत्री ने डा. इश्तियाक अहमद के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया, जो राज्य में अल-कायदा को बढ़ावा देने की वजह से गिरफ्तार किया गया है।

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