रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और सरायकेला के विधायक चंपाई सोरेन ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक अखबार की खबर साझा करते हुए कहा कि राज्य सरकार आदिवासी क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बढ़ते प्रभाव को नजरअंदाज कर रही है। सोरेन का कहना है कि सरकार दावा करती है कि संथाल परगना में कोई बांग्लादेशी घुसपैठिया नहीं है, लेकिन असल में नजमुल जैसे घुसपैठिए आदिवासियों की ज़मीन पर कब्जा कर रहे हैं।
सरकार पर लगाया आरोप
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार, वोट बैंक की राजनीति के चलते इस गंभीर मुद्दे को अनदेखा कर रही है और आदिवासी समाज को अपना हक़ पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सोरेन ने आगे कहा कि आदिवासी समाज अब अल्पसंख्यक हो चुका है, खासकर पाकुड़ में, और यह स्थिति तब है जब एसपीटी एक्ट के तहत वहां की ज़मीन की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी है।
इस मुद्दे को राजनीति से हटकर एक सामाजिक मुद्दा बताते हुए सोरेन ने कहा कि यह आदिवासी समाज के अस्तित्व से जुड़ा हुआ मामला है। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि अगले महीने से आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए एक बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा। इस आंदोलन में संथाल परगना और अन्य जिलों में घुसपैठ, धर्मांतरण और अन्य समाजिक मुद्दों पर जोर दिया जाएगा।
उधर, दुमका केंद्रीय कारा में बंद बांग्लादेशी नागरिक नजमुल हवलदार की सजा 27 फरवरी को पूरी हो रही है। उसे 2023 में साहिबगंज के तालझारी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था और अब उसे बांग्लादेश वापस भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू होगी।
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