अब ममता नंद गिरि कहलाएंगी
प्रयागराज, एजेंसियां। बॉलीवुड एक्ट्रेस रहीं ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई हैं। उन्होंने शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान किया। अब वह यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी। ममता एक-दो फरवरी तक यहां कल्पवास और साधना करेंगी।
2002 में आई थी ममता की आखिरी फिल्म:
ममता ने 1991 में अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म ‘ननबरगल‘ से की। उन्होंने कुल 34 फिल्में की हैं। ममता को साल 1993 में फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए बेस्ट डेब्यू एक्ट्रेस का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था।
इसके बाद वे ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर ‘, ‘करण अर्जुन ‘, ‘बाजी’ जैसी फिल्मों में नजर आईं। उनकी लास्ट फिल्म ‘कभी तुम कभी हम’ साल 2002 में रिलीज हुई थी।

महामंडलेश्वर बनने की यह है प्रक्रियाः
पहले अखाड़े को आवेदन करना होता है। संन्यास की दीक्षा देकर संत बनाते हैं। नदी किनारे मुंडन फिर स्नान कराते हैं। परिवार और खुद का तर्पण कराते हैं। पत्नी, बच्चों समेत परिवार का पिंड दान कर संन्यास परंपरा अनुसार विजय हवन संस्कार होता है।
दीक्षा दी जाती है। गुरु बनाकर चोटी काटते हैं। अखाड़े में दूध, घी, शहद, दही, शक्कर से बने पंचामृत से पट्टाभिषेक होता है। अखाड़े की ओर से चादर भेंट की जाती है।
जिस अखाड़े का महामंडलेश्वर बना है, उसमें प्रवेश होता है। साधु-संत, आम लोग और अखाड़े के पदाधिकारियों को भोजन करवाकर दक्षिणा दी जाती है।
घर से संबंध खत्म करने होते हैं। संन्यास काल के दौरान जमा धन जनहित के लिए देना होगा। खुद का आश्रम, संस्कृत विद्यालय, ब्राह्मणों को नि:शुल्क वेद की शिक्षा देना होती है।
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