रांची। झारखंड में बीजेपी बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर चुप बैठने के मूड में नहीं है। इसकी बागडोर अब पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने थामी है। वह 22 दिसंबर से संथाल परगना में यात्रा शुरू करेंगे। इस यात्रा के जरिए बीजेपी आदिवासियों की पहचान को खतरा बताकर जेएमएम को चुनौती देना चाहती है।
चंपाई सोरेन संथालों को बताएंगे कि उनकी पहचान खत्म हो रही है। भोगनाडीह से शुरू होने वाली इस यात्रा के जरिए बीजेपी संथाल परगना में अपनी राजनीति को आगे बढ़ाना चाहती है।
चंपाई सोरेन 22 को भोगनाडीह से शुरू करेंगे यात्राः
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन 22 दिसंबर को भोगनाडीह से अपनी यात्रा शुरू करेंगे। उस दिन संथाल स्थापना दिवस भी है। इस यात्रा के दौरान चंपाई सोरेन संथालों को समझाएंगे कि उनकी पहचान खत्म की जा रही है। बीजेपी का मानना है कि बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है।
इस मुद्दे को लेकर बीजेपी राज्य में अपनी राजनीति को मजबूत करना चाहती है। विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा भले ही ज़ोर-शोर से न उठा हो, लेकिन बीजेपी इसे आगे के लिए बड़ा मुद्दा बनाना चाहती है।
संथाल ही नहीं पूरे राज्य में आदिवासियों की पहचान खतरे मेः चंपाई
चंपाई सोरेन ने कहा वो संथाली समाज को बताएंगे कि उनकी पहचान समाप्त की जा रही है। सिर्फ संताल ही नहीं, बल्कि कोल्हान और राज्य के कई इलाकों में आदिवासियों की पहचान खतरे में है। उन्होंने सरायकेला के गोपाली बांधगोड़ा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ पहले 150 आदिवासी और 200 महतो परिवार रहते थे।
लेकिन अब वहां एक भी आदिवासी परिवार नहीं बचा है। चंपाई सोरेन ने सवाल उठाया कि आखिर ये आदिवासी परिवार कहां गए?
इस सवाल के जरिए उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ की ओर इशारा किया। इस मुद्दे के जरिए बीजेपी जेएमएम पर दबाव बनाना चाहती है और आदिवासी वोट बैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। देखना होगा कि बीजेपी की यह रणनीति कितनी कामयाब होती है।
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