Monday, June 23, 2025

15 दिनों में 152 ब्रेन स्ट्रोक के केस, डॉक्टर बोले- अचानक बीपी बढ़े तो हो जाएं सावधान [152 brain stroke cases in 15 days, doctor said – be careful if BP suddenly increases]

एक साल में ब्रेन स्ट्रोक के 1232 मरीज पहुंचे

रांची। रांची का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के नीचे पहुंच गया है। रात में ठंड अधिक लगने लगी है। बढ़ती ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी बढ़ने लगे हैं। पिछले 15 दिनों में रिम्स के अलावा शहर के प्रमुख निजी अस्पतालों में ब्रेन स्ट्रोक के 152 मरीज पहुंचे।

सबसे अधिक 52 मरीज रिम्स के क्रिटिकल केयर और न्यूरो डिपार्टमेंट में पहुंचे। इनमें बुजुर्गों की संख्या अधिक है। युवा भी इसकी जद में आ रहे हैं। कुछ गंभीर मरीज थे, उन्हें बचाया नहीं जा सका। जबकि, दर्जनों मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है।

ठंड और बीपी है मुख्य कारणः

दरअसल, तनाव की वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ने और बढ़ते ठंड के कारण लोग ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक के अलावा सांस से जुड़ी समस्या के मरीज भी बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अचानक बीपी बढ़े तो सावधान हो जाएं।

रिम्स न्यूरो सर्जरी के एचओडी डॉ. सुरेंद्र कुमार के अनुसार ठंड में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं। अनियमित जीवनशैली, तनाव, पर्याप्त नींद नहीं लेने और स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग नहीं होने से रोगियों की संख्या बढ़ रही है।

लैंसेट कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल करीब 13 लाख लोग स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं। इसमें करीब 27% मरीज की जान चली जाती है।

ऐसे लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करेः

ऐसे कई लक्षण हैं, जिनसे स्ट्रोक का पता चल सकता है। चेहरा, हाथ या पैर अचानक सुन्न होने लगे या कमजोरी महसूस होती है तो यह स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है। कई बार हाथ से लेकर पैर तक या शरीर का एक हिस्सा लकवाग्रस्त हो सकता है। अचानक सिर में तेज दर्द, बोलने में कठिनाई या आवाज सही नहीं आना या मुंह टेढ़ा होना भी स्ट्रोक के लक्षण हैं।

कितने प्रकार के होते हैं ब्रेन स्ट्रोकः

स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं। पहला इस्केमिक ब्रेन स्ट्रोक है। इसमें दिमाग तक खून पहुंचाने वाली नसें किसी कारण से ब्लॉक हो जाती हैं। दूसरा हेमोरेजिक ब्रेन स्ट्रोक में दिमाग की नसें फट जाती हैं। इसे आम भाषा में ब्रेन हेमरेज भी कहा जाता है।

इस स्थिति में ठीक हो सकते हैं मरीजः

ब्रेन स्ट्रोक में गोल्डन ऑवर अहम है। लक्षण दिखते ही अस्पताल पहुंचने पर तत्काल इलाज शुरू होने मरीज को कम नुकसान पहुंचता है। मस्तिष्क में रक्त प्रवाह करने वाली नसों में ब्लॉकेज के कारण स्ट्रोक होता है। कुछ मामले में ब्रेन की कोशिकाएं तुरंत मर जाती हैं।

कुछ केस में मस्तिष्क के जिस हिस्से में ब्लॉकेज आया है, इलाज के जरिए उसे खोलने का प्रयास किया जाता है। यदि कुछ घंटों में रक्त का प्रवाह ठीक हो गया तो लकवे से बचाया जा सकता है।

डॉ. सुरेंद्र कुमार ने बताया कि रिम्स में पिछले एक साल में स्ट्रोक के 1232 रोगियों का भर्ती कर इलाज किया गया है। ठंड में स्ट्रोक के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, जबकि गर्मी व बरसात के मौसम में सामान्य से संख्या थोड़ी कम हो जाती है। उन्होंने औसत रूप में बताया कि हर माह स्ट्रोक के करीब 80 से 100 मामले अस्पताल पहुंचते हैं। इलाज के क्रम में कुछ की मौत भी हो जाती है।

इसे भी पढ़ें

बढ़ी ठंड और हार्ट अटैक एवं ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़े

Hot this week

Babulal: मुझे मुकदमे में फंसाने की हो रही साजिशः बाबूलाल [There is a conspiracy to implicate me in a case: Babulal]

Babulal: रांची। झारखंड में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img