रांची। भ्रष्टाचार और जमीन की हेराफेरी के मामले में हजारीबाग के एसडीओ शैलेश कुमार और पश्चिमी सिंहभूम के नोवामुंडी अंचल के सीओ मनोज कुमार के करीब 10 ठिकानों पर एंटी करप्शन ब्यूरो की छापेमारी गुरुवार को समाप्त हो गई।
एसीबी ने आधिकारिक तौर पर बताया है कि हजारीबाग एसडीओ शैलेश कुमार के ठिकानों से 22 लाख नकद, 11 जमीन के डीड, 11 मोबाइल, दो लैपटॉप और एक टैब जब्त किया गया है।
इसी तरह नोवामुंडी अंचलाधिकारी मनोज कुमार के ठिकाने से धनबाद जिले में 4 डिसमिल और 6 डिसमिल जमीन के दो दस्तावेज, रांची में करीब 1.02 करोड़ का एक डुप्लेक्स संबंधी दस्तावेज और दो मोबाइल जब्त किए गए हैं।
दोनों अधिकारी जमीन घोटाले में ईडी के गवाह
दोनों अफसरों के बैंक खातों के ब्योरे और पासबुक भी मिले हैं। दोनों झारखंड प्रशासनिक सेवा के अफसर हैं और पूर्व में रांची के बड़गाईं अंचल में बतौर सीओ पोस्टेड रहे हैं।
खास बात यह है कि दोनों अफसर बड़गाईं अंचल के बहुचर्चित जमीन घोटाले में ईडी के गवाह रहे हैं।
लैंड स्कैम मामले में ईडी ने हेमंत सोरेन को किया था गिरफ्तार
ईडी ने इसी घोटाले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था। एसीबी ने बीते बुधवार को सुबह दोनों अफसरों और उनके परिवार से जुड़े लोगों के ठिकानों पर दबिश दी थी।
हजारीबाग के एसडीओ शैलेश कुमार के सरकारी कार्यालय एवं आवास के अलावा गिरिडीह में उनके पिता उदय शंकर प्रसाद और भाई रिंकू सिन्हा के आवास की तलाशी ली गई।
सीओ मनोज कुमार के ठिकानों पर भी घंटों तलाशी
इसी तरह नोवामुंडी अंचल कार्यालय और सीओ मनोज कुमार के अस्थायी आवास और उनके रांची स्थित आवास पर भी घंटों तलाशी ली गई।
गुरुवार को एसीबी ने दोनों अफसरों को साथ लेकर रांची में कई जगहों पर तलाशी ली। एसीबी के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामले में राज्य सरकार से जांच का आदेश मिलने के बाद एसीबी ने बड़गाईं अंचल के पूर्व सीओ मनोज कुमार और शैलेश कुमार के खिलाफ जांच शुरू की है।
पूछताछ पूरी, दोनों अधिकारी छोड़े गये
एसीबी ने कोर्ट से वारंट लेने के बाद दोनों के ठिकानों पर छापेमारी की। गुरुवार को दोनों अफसरों से रांची में कई घंटों तक पूछताछ की गई और जब्ती सूची पर उनके हस्ताक्षर लिए गए। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया है।
उठ रहे सवाल
अब ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या ईडी के गवाह एसीबी के टारगेट पर हैं। बता दें कि ईडी केंद्र सरकार के अधीन सेंट्रल जांच एजेंसी है।
वहीं, एसीबी राज्य सरकार के अधीन जांच एजेंसी है। ऐसे में ये सवाल उठना स्वभाविक ही है कि क्या ईडी के गवाह भी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं या उन्हें टारगेट किया जा रहा है।
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