दिनांक – 09 अप्रैल 2024
दिन – मंगलवार
विक्रम संवत – 2081
शक संवत -1946
अयन – उत्तरायण
ऋतु – वसंत ॠतु
मास – चैत्र
पक्ष – शुक्ल
तिथि – प्रतिपदा रात्रि 08:30 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – रेवती सुबह 07:32 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – वैधृति दोपहर 02:18 तक तत्पश्चात विष्कंभ
राहुकाल – शाम 03:48 से शाम 05:22 तक
सूर्योदय-05:42
सूर्यास्त- 06:04
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण –
राष्ट्रीय चैत्री नूतन वर्ष वि॰सं॰2081 प्रारंभ,शालिवाहन शक 1946 प्रारंभ, उगादी (तेलुगु नूतन वर्ष),गुडी पडवा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), ध्वजारोहण,चैत्री- वासंती नवरात्र प्रारंभ, पंचक (समाप्त: सुबह 07:32),चंद्र-दर्शन (शाम 06:46 से रात्रि 07:28)
विशेष –
प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
नवरात्रि लक्ष्मी प्राप्ति के लिए करे यह उपाय
‘ नवरात्रियों में उपवास करते, हैं तो एक मंत्र जप करें ……..ये मंत्र वेद व्यास जी भगवान ने कहा है ….इससे श्रेष्ट अर्थ की प्राप्ति हो जाती है……दरिद्रता दूर हो जाती है ।
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लिं ऐं कमल वसिन्ये स्वाहा”
नवरात्रि के दिनों में जप करने का मंत्र
नवरात्रि के दिनों में ‘ ॐ श्रीं ॐ ‘ का जप करें ।
चेटीचंड
10 अप्रैल 2024 बुधवार को चेटीचंड पर्व है । उस दिन शाम को आकाश में चन्द्रमा दिखे दूज का चाँद शुक्ल पक्ष का, चैत्र सुद दूज ।
तो उस दिन रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें … कि मेरा मन शांत रहे, भक्ति में लगे, गुरु चरणों में लगे ऐसा भी करें और
“ॐ बालचन्द्रमसे नमः |” ” ॐ बालचन्द्रमसे नमः|” ” ॐ बालचन्द्रमसे नमः | ”
ऐसा बोलते हुए अर्घ्य दें । और मेरा मन गुरु भक्ति में लगे, गुरु चरणों में लगे ऐसा शुभ संकल्प करें ।
विद्यार्थी के लिए
नवरात्रि के दिनों में खीर की 21 या 51 आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।
चैत्र नवरात्रि
चैत्र मास के नवरात्र का आरंभ 09 अप्रैल, मंगलवार से हो रहा है। नवरात्रि में रोज देवी को अलग-अलग भोग लगाने से तथा बाद में इन चीजों का दान करने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है। जानिए नवरात्रि में किस तिथि को देवी को क्या भोग लगाएं-
प्रतिपदा तिथि (नवरात्र के पहले दिन) पर माता को घी का ।भोग लगाएं ।इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है ।
चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, देवी का यह नाम हिमालय के यहां जन्म होने से पड़ा।
हिमालय हमारी शक्ति, दृढ़ता, आधार व स्थिरता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है।
नवरात्रि के प्रथम दिन योगीजन अपनी शक्ति मूलाधार में स्थित करते हैं व योग साधना करते हैं।
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