जामताड़ा। कोल इंडिया की महत्वाकांक्षी परियोजना अंडरग्राउंड गैसीफिकेशन प्रोजेक्ट की जामताड़ा में आधारशिला रखी गई।
माना जा रहा है कि कोल इंडस्ट्री में यह एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा। कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि खदान में मौजूद कोयले से मीथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाई-ऑक्साइड जैसी गैसों का उत्पादन किया जाएगा। इन गैसों का इस्तेमाल अलग-अलग उद्योगों में होगा।
जामताड़ा के कास्ता गांव से हुई पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) के एक सीनियर अफसर ने बताया कि कोयला मंत्रालय की निगरानी में झारखंड के जामताड़ा जिले में इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो रही है।
जिले के नाला प्रखंड अंतर्गत कास्ता गांव से इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो रही है।
इन गैसों का खदान में किया जाएगा निर्माण
ईसीएल के अधिकारी के मुताबिक, कोयला मंत्रालय का यह क्रांतिकारी कदम है. इसके जरिए कोयले से खदान में ही कई महत्वपूर्ण गैस बनाए जाएंगे।
मीथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाईऑक्साइड जैसे गैसों का इस्तेमाल सिंथेटिक नैचुरल गैस, ईंधन के लिए केमिकल फीडस्टॉक्स, फर्टिलाइजर, विस्फोटक और अन्य औद्योगिक कार्यों के लिए किया जाएगा।
अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन प्रोजेक्ट के फायदे
अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन के फायदे गिनाते हुए कोयला मंत्रालय ने कहा कि अंडरग्राउंड कोल गैसीफिकेशन का महत्व उस वक्त बढ़ जाता है, जब पारंपरिक तरीके से कोयला निकालना आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं होता।
इस पायलट प्रोजेक्ट के शुरू होने से कोल इंडिया लिमिटेड और उसकी सब्सिडियरी कंपनियां दुनिया की उन अग्रणी माइनिंग कंपनियों में शुमार होगी, जिसने कोल गैसीफिकेशन टेक्नोलॉजी की अत्याधुनिक तकनीक को अपना लिया है।
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