नयी दिल्ली, एजेंसियां : सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने शुक्रवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को ‘स्थिर लेकिन संवेदनशील’ करार देते हुए कहा कि चीन से सटी देश की सीमा पर भारतीय सैनिकों और अन्य घटकों की तैनाती ‘बेहद मजबूत’ और ‘संतुलित’ है।
यहां एक ‘कॉन्क्लेव’ में एक चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, ‘‘हमें करीब से निगरानी और नजर बनाए रखने की जरूरत है कि सीमा पर बुनियादी ढांचे और सैनिकों की आवाजाही के संदर्भ में कौन से घटनाक्रम हो रहे हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि एलएसी पर वर्तमान स्थिति क्या है, जनरल पांडे ने कहा, ‘‘बहुत संक्षेप में अगर मुझे यह बताना हो कि स्थिति क्या है, तो मैं इसे स्थिर, लेकिन संवेदनशील कहूंगा।
यही, वह जगह है जहां हमें पैनी नजर बनाए रखने और एलएसी के पार तक की गतिविधियों पर बहुत बारीकी से नजर रखने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि एलएसी पर सैनिकों की मौजूदा तैनाती और अन्य घटकों के संदर्भ में, मैं सीधे कहूंगा कि हमारी तैनाती बेहद मजबूत और संतुलित है।
साथ ही कहा कि संपूर्ण एलएसी पर उत्पन्न होने वाली किसी संभावित स्थिति से निपटने के लिए हम सैन्य संरचना और तोपखाने को लेकर (युद्धक सामग्री व अन्य का) पर्याप्त भंडार सुनिश्चित रखते हैं ।
भारत और चीन ने हाल ही में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का एक नया दौर आयोजित किया, जिसमें दोनों पक्ष जमीन पर ‘शांति और सदभाव’ बनाए रखने पर सहमत हुए, लेकिन किसी भी सफलता का कोई संकेत नहीं मिला।
सेना प्रमुख से यह भी पूछा गया कि सीमा पर झगड़ों से क्या सबक सीखा गया है। इस पर उन्होंने कहा, न केवल सीमा बल्कि दुनियाभर में हो रहे संघर्षों से गहरा सबक सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ये सबक रणनीतिक, परिचालन और सामरिक स्तर के हैं।
उन्होंने कहा कि रणनीतिक स्तर पर, राष्ट्रीय सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में प्रमुखता प्राप्त कर रही है और इसने जो दिखाया है वह यह है कि जब राष्ट्रीय हित शामिल होंगे, तो देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएंगे।
उन्होंने कहा कि दूसरी स्थिति जिसमें किसी देश का सीमाओं को लेकर विवाद है, जैसे की हमारा, वहां ‘ युद्ध में जमीन निर्णायक क्षेत्र बनी रहेगी।’
तीसरी चीज आत्मनिर्भरता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘न केवल संघर्ष में, बल्कि महामारी के समय में भी हमारे लिए आत्मनिर्भर बनने का महत्व है ताकि निर्यात या आयात पर निर्भरता लगभग शून्य रहे।’’
एलएसी पर तनाव बढ़ने की आशंका से जुड़ा दावा करने वाली एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हम अलग-अलग आकस्मिकताओं के लिए योजना बनाते हैं और प्रत्येक आकस्मिकता के लिए प्रतिक्रियाएं अलग-अलग होंगी।’’
अगर स्थिति बिगड़ती है, तो क्या भारतीय सेना की प्रतिक्रिया 1962 के युद्ध की तुलना में अलग होगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से। प्रतिक्रिया प्रभावी होगी और यह आने वाली स्थिति के अनुरूप होगी।’’
जनरल पांडे ने यह भी कहा कि यह पहचानने की जरूरत है कि भविष्य में संघर्ष कैसे होंगे और कोई प्रौद्योगिकी का लाभ कैसे उठा सकता है और युद्ध के परांपरगत तरीकों से आगे जाकर देखना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम वर्तमान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 5जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ड्रोन, निगरानी प्रणाली, साइबर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम देश में उपलब्ध अपार नवोन्वेषी और स्टार्ट-अप क्षमता का लाभ उठाना चाहते हैं।’’
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