रांची। पीएचइडी घोटाले की जांच तेज हो गई है। पुलिस अब इस मामले में हस्ताक्षरों के फर्जीवाड़े की जांच करने वाली है।
इस क्रम में विभाग के चार इंजीनियरों के हस्ताक्षरों की जांच का मिलान किया जायेगा। इसके लिए फोरेंसिंक विभाग की मदद ली जायेगी।
पुलिस इन इंजीनियरों के हस्ताक्षरों की फोरेंसिक जांच कराने की तैयारी में है। राशि निकासी से संबंधित फाइल और दस्तावेजों पर किये गये हस्ताक्षरों को लेकर इन इंजीनियरों ने अनभिज्ञता जताई है।
इसलिए पुलिस अब इन हस्ताक्षरों की फोरेंसिक जांच करायेगी। बता दें कि राजधानी रांची में पुलिस ने झारखंड सरकार के पीएचइडी विभाग के एक कर्मचारी को 20 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार कर्मचारी के पास से पुलिस ने 51 लाख रुपए नगद भी बरामद किये थे। घोटाले को लेकर रांची के सदर थाने में पिछले साल एफआईआर दर्ज करवायी गयी थी।
राज्य के पेयजल एवं स्वछता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भी कहा है कि इस घोटाले में विभाग के कुछ इंजीनियरों का संलिप्तता हो सकती है। बिना उनकी रजामंदी के इतना बड़ा घोटाला संभव नहीं लगता।
जांच के बाद गबन की राशि 20 करोड़ पहुंची
पेयजल एवं स्वच्छ स्वर्णरेखा शीर्ष कार्य प्रमंडल रांची में शहरी जिला पूर्ति योजना की राशि मे से बीस करोड़ रूपये का घोटाले के आरोप में पीएचइडी प्रमंडल रांची में कार्यरत कर्मचारी रूक्का प्रमंडल के कैशियर संतोष कुमार को रांची पुलिस ने सुखदेवनगर इलाके से गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तार आरोपी की निशानदेही पर 51 लाख रुपये बरामद किए गए थे। कर्मचारी संतोष कुमार ने अपने ससुराल और घर में गबन की गई राशि को छिपाकर रखा था।
दो कंपनियां बनाकर किया घोटाला
पेयजल स्वच्छता शीर्ष कार्य प्रमंडल विभाग में यह घोटाला गिरफ्तार संतोष कुमार के द्वारा कुछ अन्य कर्मचारियों की मिली भगत से अंजाम दिया गया था।
संतोष कुमार ने घोटाले को अंजाम देने के लिए दो निजी कंपनियां बनाई और अपने सगे संबंधियों के 15 से अधिक खाता खोले और रांची ट्रेजरी से लगभग 20 करोड़ रुपए निकाल कर इन खातों में डाल दिए।
मामले को लेकर विभाग के द्वारा साल 2023 में रांची के सदर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।
अब तक की जांच में यह भी साफ हुआ है कि रूक्का प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता श्वेतलाभ कुमार ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
यह भी पता चला है कि कार्यपालक अभियंता के डीडीओ कोड से 23 करोड़ रुपये की राशि की निकासी की गई है।
फरार चल रहा था संतोष
पुलिस के मुताबिक एफआईआर दर्ज होने के बाद से ही संतोष फरार चल रहा था। संतोष को गिरफ्तार करने के लिए रांची के सिटी एसपी राजकुमार मेहता के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया था।
इसी बीच जानकारी मिली कि संतोष रांची के सुखदेव नगर इलाके में दिखा है। इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस के अनुसार इस मामले में कई अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है।
कैसे हुआ घोटाला
पेयजल विभाग ने साल 2012 में एलएनटी कंपनी को रांची में पाइपलाइन बिछाने का काम दिया था। पर कंपनी ने बीच में ही काम बंद कर दिया।
इसके बाद विभाग के कुछ लोगों ने साजिश रची और किए हुए काम के बदले दोबारा फर्जी बिल बनाकर उस पर संबंधित लोगों के फर्जी हस्ताक्षर किए और ट्रेजरी में नया कोड खुलवा कर एलएनटी को जो भुगतान हुआ था उसका दोबारा भुगतान करवा लिया।
पहली बार में 1.32 करोड़, दूसरी बार में 6 करोड़ और तीसरी बार में लगभग 13 करोड़ रुपए ट्रेजरी से निकाल लिए गए। पैसे के निकासी के लिए अलग अलग बैंकों में खाते खुलवाए गए थे।
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