मुंबई, एजेंसियां। साल 2010 में इंडिका, सफारी और सूमो जैसे सक्सेसफुल मॉडल बनाने वाली कंपनी टाटा मोटर्स के लिए कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा था।
सेल्स घट रही थी, लॉस बढ़ रहा था, प्रोडक्ट डेवलपमेंट की रफ्तार धीमी थी। आफ्टर सेल्स सर्विस और खराब क्वालिटी से ग्राहक परेशान थे।
बोल्ट और जेस्ट जैसे मॉडल नए जमाने के कस्टमर्स को लुभाने में फेल रहे थे। इसने टाटा को वापस ड्रॉइंग बोर्ड पर जाने और अपने स्ट्रगलिंग बिजनेस को रिवाइव करने के लिए मजबूर कर दिया।
फिर आया 2016 का साल टाटा अपनी नई हैचबैक कार टियागो लॉन्च करने वाली थी। टाटा बोल्ट साल 2015 में लॉन्च हुई थी। ये कार लोगों को पसंद नहीं आई और इसकी सेल्स लगातार गिरती गई।
लॉन्चिंग से ठीक पहले कंपनी ने गुएंटर बचेक को CEO और MD के तौर पर हायर किया। बस यहीं से टाटा मोटर्स का कमबैक शुरू हुआ।
कंपनी ने डिजाइन, कंफर्ट, क्वालिटी, सर्विस सब पर काम किया। टियागो के बाद कंपनी ने टिगोर और नेक्सॉन जैसे मॉडल लॉन्च किए जो लोगों को काफी पसंद आए।
कंपनी ने नेक्सॉन ईवी के साथ अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भी लॉन्च किए। 2016 में कंपनी का मार्केट शेयर 13.1% था जो अब बढ़कर 39.1% पर पहुंच गया है।
यानी मार्केट शेयर में 26% की बढ़ोतरी हुई है। इन मॉडल्स की बदौलत टाटा मोटर्स का प्रॉफिट भी अब लगातार बढ़ रहा है।
ये सब कुछ हुआ सेफ्टी फीचर्स पर फोकस करने के कारण। इन सेफ्टी फीचर्स की वजह से टाटा मोटर्स का मुनाफा 1000 फीसदी तक बढ़ गया है।
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