लंदन, एजेंसियां। कोरोना के दौरान पूरी दुनिया में एस्ट्रोजेनिका और भारत में कोविशील्ड के नाम से दिए गए टीके को लेकर हुए बड़े खुलासे ने हड़कंप मचा दिया है।
एस्ट्राजेनेका के बारे में दावा किया गया है कि इस वैक्सीन से कुछ मौतें हुई और बहुत लोगों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा।
ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने भी माना है कि उनकी वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
ब्रिटिश हाइकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने स्वीकार किया कि उनकी वैक्सीन से थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) हो सकता है।
भारत में भी बड़ी संख्या में इस वैक्सीन को कोविड आने के बाद लोगों को दिया गया था।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल जगत के एक्सपर्ट ने जो सवाल इस वैक्सीन पर उठाए थे, उनको अब मजबूती मिली है।
साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी आने के बाद एस्ट्राजेनेका कंपनी ने इसकी वैक्सीन को तैयार किया था।
भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका को कोविशील्ड के नाम से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया।
2021 में पहली बार तैयार हुई एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (कोविशील्ड) लगातार सवालों के घेरे में रही है। कई देशों ने 2021 में ही इस वैक्सीन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
कोविशील्ड जिस तेजी से तैयार की गई थी, उस पर वैज्ञानिक समुदाय में तभी सवाल उठने लगे थे।
इसके बाद इस बात को लेकर जांच शुरू हुई कि टीका अपने काम में सुरक्षित भी या नहीं। हार्ट अटैक की घटनाओं के लिए भी वैक्सीन को सवालों के घेरे में लाया गया।
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिकल जगत के एक्सपर्ट ने जो सवाल इस वैक्सीन पर उठाए थे, उनको अब मजबूती मिली है।
एस्ट्राजेनेका के बारे में दावा किया गया है कि इस वैक्सीन से कुछ मौतें हुई और बहुत लोगों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा।
ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने भी माना है कि उनकी वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
ब्रिटिश हाइकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने स्वीकार किया कि उनकी वैक्सीन से थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) हो सकता है।
भारत में भी बड़ी संख्या में इस वैक्सीन को कोविड आने के बाद लोगों को दिया गया था।
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को भारत में AZD1222 या कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है। ये एक वायरल वेक्टर वैक्सीन है जिसे SARS-CoV-2 वायरस से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है जो कि कोविड-19 का प्रेरक एजेंट है।
इस वायरस के काम करने के तरीके पर बात की जाए तो ये चिंपांजी में पाए जाने वाले एक सामान्य सर्दी के वायरस (एडेनोवायरस) के कमजोर संस्करण का उपयोग करके काम करता है।
इसे SARS-CoV-2 वायरस से प्रोटीन के जीन को ले जाने के लिए मॉडीफाई किया गया है।
ये शरीर में इंजेक्ट होने के बाद टीका इंसान के इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने और टी-कोशिकाओं को सक्रिय करने के लिए प्रेरित करता है।
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