Wednesday, October 22, 2025

आदिवासी जमीन के लुटेरों को उलगुलान जैसे पवित्र शब्द के प्रयोग से बचना चाहिए : बाबूलाल मरांडी

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रांची : आदिवासी समाज की जमीनों और उनके संसाधनों को लूटने और तबाह करने वालों को उलगुलान जैसे पवित्र शब्द के प्रयोग से बचना चाहिए तथा इतिहास में झांककर इंडी गठबंधन के साथियों को एक बार उलगुलान विद्रोह को फिर से पढ़ना चाहिए।

उलगुलान विद्रोह मूल निवासियों के संसाधनों, उनकी जमीनों और उनके अधिकारों को जमीदारों और साहूकारों द्वारा छीने जाने के विरोधस्वरूप उत्पन्न हुआ था।

आज इंडी गठबंधन उन्हीं साहूकारों और जमीदारों की तरह आदिवासी समाज की जमीनों को हड़पकर उलगुलान जैसे शब्दों का उपयोग कर उसका राजनीतिकरण कर जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहा है।

उलगुलान विद्रोह को लेकर आदिवासी कवि हरीराम मीणा ने भगवान बिरसा मुंडा जी पर कविता लिखी थी जिसकी चंद पंक्तियां इस प्रकार हैं

“मैं केवल देह नहीं,
मैं जंगल का पुश्तैनी दावेदार हूं।
पुश्तें और उनके दावे मरते नहीं
मैं भी मर नहीं सकता
मुझे कोई भी जंगलों से बेदखल नहीं कर सकता
उलगुलान! उलगुलान!! उलगुलान!!!”

आज हेमंत के नेतृत्व में उन्हीं आदिवासी समाज की पुश्तैनी जमीनों को अवैध तरीके से कब्जा जमाकर बैंक्वेट हॉल बनाने का सपना संजोया जा रहा है, ऐसे व्यक्ति के लिए उलगुलान जैसे क्रांतिकारी शब्द का प्रयोग करके भगवान बिरसा मुंडा जी को अपमानित किया जा रहा है।

ऐसे में इंडी गठबंधन के लिए मुद्दा- सच्चाई, इंसाफ, न्याय न होकर, भ्रष्टाचारी हेमंत को अपराध मुक्त घोषित करना है।

शामिल होने वाले इंडी गठबंधन के साथियों के लिए आदिवासी कल्याण कभी मुद्दा था भी नहीं, और आज भी नहीं है।

उनके लिए मुख्य विषय यह है कि हेमंत के भ्रष्टाचार को उजागर क्यों किया गया? उसके शोषण और अत्याचार के तरीकों को जनता के पटल पर रखकर बताया क्यों गया?

उन्हें इस बात से परेशानी है कि हेमंत सोरेन जो एक मुख्यमंत्री थे, उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा थी, जो आदिवासी समाज से खुद को ऊपर मान बैठे हैं, समाज के सामने उनकी वास्तविकता को क्यों बताया जा रहा है, उनके भ्रष्टाचार तथा आदिवासी समाज की लूटी हुई जमीनों के सच को उजागर क्यों किया जा रहा है।

मेरा मानना है कि राजनीति में भ्रष्टाचार और परिवारवाद एक दूसरे से दूर नहीं है, बल्कि एक दूसरे का पूरक है।

आप पूरे देश में किसी भी परिवारवादी पार्टी को देखेंगे तो यह कथन सर्वथा सत्य होगा, क्योंकि वसीयत स्वरूप परिवारों द्वारा सिर्फ मुफ्त में राजनीतिक पद और प्रतिष्ठा भर नहीं दी जाती, बल्कि साथ में भ्रष्टाचार और उनको छुपाने के नुस्खे भी बताए और दिए जाते हैं।

सबको पता है कि पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जिसके लिए इस रैली का आयोजन किया जा रहा है, उसका हाथ पैर तो दूर, पूरा शरीर ही भ्रष्टाचार के दलदल में पूरी तरह डूबा हुआ है।

पिछले 4 साल के कार्यकाल में हेमंत ने आदिवासी समाज के मान, सम्मान और पहचान को न सिर्फ धूमिल किया है, बल्कि आदिवासी धरोहरों को नष्ट करके उनके संसाधनों को बिचौलियों के हाथों बेचने का तथा उनकी जमीनों को अवैध तरीके से कब्जा करने तथा अपने साथियों की मदद से कागजों में भी हेरफेर करने का कुत्सित प्रयास किया है।

जिस आदिवासी समाज के हितों का दिखावा कर, झूठे सपने दिखाकर हेमंत ने खुद को सत्ता पर काबिज किया था, वही हेमंत आज आदिवासी समाज की जमीनों को निगलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।

इंडी-गठबंधन के आए हुए साथियों की वंशावली निकाल कर आप सभी देख सकते हैं, समझ सकते हैं कि इनका रैली में आने का अभिप्राय- परिवारवाद की राजनीति को और आगे तक बढ़ाने और अत्याचार तथा शोषण के नए नए तरीकों से जनता को गुमराह करने के लिए नई कुनीतियों के निर्माण से है।

इंडी गठबंधन के साथियों का मानना है कि जनता के दुख दर्द को अनदेखा कर कैसे परिवारवादी राजनीति के माध्यम से सत्ता पर हमेशा के लिए काबिज रहा जाए, इससे यह बात तो स्पष्ट है कि ये जुटान किसी आदिवासी समाज के हितों को ध्यान देने के लिए नहीं, अपितु अपनी परिवारवादी राजनीति को कैसे सुरक्षित रखा जा सके, उसके लिए है।

गौर से देखिए, इन भ्रष्टाचारी, अत्याचारी और परिवारवादी चेहरों को जिनके कदम कभी हवाई जहाज तथा चार्टर प्लेन से नीचे जमीन पर नहीं पड़े, आज ये नाटक कर नंगे पैर चलने वालों का कष्ट समझने आए हैं, दरसल ये जुटाव एक समाज का अपमान करने के लिए, उनका मजाक बनाने के लिए तथा अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने के लिए है।

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