Thyroid Care:
नई दिल्ली,एजेंसियां। थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर की एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रंथि है, जो गर्दन के सामने श्वास नली के पास स्थित होती है। इसका मुख्य कार्य शरीर में दो प्रमुख हार्मोन ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थायरॉक्सिन (T4) का निर्माण करना है। ये हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म, एनर्जी लेवल, हृदय गति, और तापमान नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। इन हार्मोन्स के निर्माण के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन का होना आवश्यक है।
आयोडीन की भूमिका और थायराइड पर इसका प्रभाव
आयोडीन थायराइड हार्मोन के लिए कच्चे माल की तरह काम करता है। इसके बिना थायराइड ग्रंथि सामान्य रूप से कार्य नहीं कर सकती। जब शरीर में आयोडीन की कमी होती है, तो थायराइड हार्मोन का उत्पादन घट जाता है, जिससे हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति बनती है। इसके लक्षणों में थकान, वजन बढ़ना, त्वचा का रूखापन, और अवसाद शामिल हैं। लंबे समय तक आयोडीन की कमी घेंघा (Goiter) रोग का कारण भी बन सकती है।
भारत में पहले आयोडीन की कमी से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित थे। इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने आयोडीन युक्त नमक का उपयोग अनिवार्य किया। लेकिन आज भी कई लोग “नेचुरल” और “केमिकल-फ्री” समझकर सेंधा नमक (Rock Salt या Himalayan Pink Salt) का उपयोग बढ़ा रहे हैं — जो थायराइड के मरीजों के लिए हमेशा सही नहीं होता।
क्या थायराइड के मरीज सेंधा नमक खा सकते हैं?
सेंधा नमक में स्वाभाविक रूप से आयोडीन की मात्रा बहुत कम या लगभग नगण्य होती है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति केवल सेंधा नमक का सेवन करता है, तो उसके शरीर में आयोडीन की कमी हो सकती है खासकर उन क्षेत्रों में जहां मिट्टी और पानी में पहले से ही आयोडीन की मात्रा कम होती है। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित मरीजों के लिए सेंधा नमक का नियमित सेवन थायराइड की स्थिति को और बिगाड़ सकता है, क्योंकि इससे शरीर में आवश्यक आयोडीन की आपूर्ति नहीं हो पाती।हालांकि, हाइपरथायरायडिज्म (जब शरीर में थायराइड हार्मोन अधिक बनता है) या ऑटोइम्यून थायराइड रोगों (जैसे हाशिमोटो या ग्रेव्स डिजीज) वाले मरीजों को डॉक्टर कभी-कभी आयोडीन सेवन सीमित करने की सलाह देते हैं। क्योंकि ऐसे मामलों में अधिक आयोडीन से एंटीबॉडी निर्माण बढ़ सकता है और स्थिति खराब हो सकती है।
इसलिए थायराइड के मरीजों को किसी भी तरह का नमक चुनने से पहले डॉक्टर की व्यक्तिगत सलाह लेना आवश्यक है।
आयोडीन के अन्य प्राकृतिक स्रोत
आयोडीन की पूर्ति केवल नमक से नहीं की जा सकती। इसे संतुलित आहार से भी पूरा किया जा सकता है। समुद्री शैवाल (Seaweed), मछली, डेयरी उत्पाद, अंडे, और क्रैनबेरी आयोडीन के उत्कृष्ट स्रोत हैं। इसके अलावा, थायराइड के मरीजों को सेलेनियम और जिंक युक्त खाद्य पदार्थ जैसे बादाम, कद्दू के बीज, और अखरोट का सेवन करना चाहिए, क्योंकि ये पोषक तत्व थायराइड हार्मोन के उत्पादन और रूपांतरण में मदद करते हैं।
कितना आयोडीन जरूरी है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, वयस्कों के लिए प्रतिदिन लगभग 150 माइक्रोग्राम आयोडीन पर्याप्त है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को थोड़ी अधिक मात्रा (लगभग 250 माइक्रोग्राम) की आवश्यकता होती है।
थायराइड के मरीजों को आयोडीन की भूमिका को समझते हुए संतुलित सेवन पर ध्यान देना चाहिए। सेंधा नमक का उपयोग सीमित मात्रा में किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह उसी पर निर्भर रहना हानिकारक हो सकता है। डॉक्टर की सलाह के अनुसार आयोडीन युक्त नमक का सेवन और संतुलित डाइट ही थायराइड नियंत्रण की कुंजी है।
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