Kali Puja 2025:
नई दिल्ली, एजेंसियां। कार्तिक मास में मनाया जाने वाला काली पूजा का त्योहार इस वर्ष 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को है। इसे श्याम पूजा के नाम से भी जाना जाता है और यह मुख्य रूप से उत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। काली पूजा मां काली को समर्पित है, जो शक्ति, सुरक्षा और बुराई के विनाश की प्रतीक मानी जाती हैं।
काली पूजा का महत्व
मां काली की पूजा करने मात्र से नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। यह त्योहार विशेष रूप से दिवाली की रात के अवसर पर आयोजित होता है और इसे तंत्र-मंत्र से जुड़े लोग ही नहीं, बल्कि हर कोई अपने घर पर मंत्र और धार्मिक अनुष्ठानों से कर सकता है।
पूजा समय और शुभ मुहूर्त
काली पूजा निशिता काल में रात 11:55 बजे से लेकर 12:44 बजे तक की जाएगी। अमावस्या तिथि 21 अक्टूबर की सुबह 6:29 बजे से शुरू होकर 22 अक्टूबर की सुबह 4:55 बजे तक रहेगी।
पूजा सामग्री
पूजा के लिए मां काली, भगवान गणेश और भगवान विष्णु की मूर्तियां, धूप-दीप, तांत्रिक प्रतीक, चावल, दरबा घास और चंदन पाउडर की आवश्यकता होगी। भोग में फल, मिठाई, मछली, मांस और दाल अर्पित किए जाते हैं।
आरती और मंत्र
मां काली की आरती में उनके गुणों का गान किया जाता है और भक्तों की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है। प्रमुख मंत्रों में बीज मंत्र “ॐ क्रीं काली”, काली माता मंत्र “ॐ श्री महा कालिकायै नमः”, कालिका मंत्र “ॐ क्लीं कालिका” और काली गायत्री मंत्र शामिल हैं।
इस दिव्य अवसर पर मां काली की पूजा, मंत्र और भोग के माध्यम से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है। भक्तजन इस दिन घर पर या मंदिर में माता की आराधना करके अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
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