Mobile network generations:
नई दिल्ली, एजेंसियां। भारत में मोबाइल नेटवर्क तेजी से विकसित हो रहे हैं। 2014 में 4G के लॉन्च के बाद अब देश 5G का इस्तेमाल कर रहा है और जल्द ही 5.5G (या 5G-A) भी शुरू होने वाला है। लेकिन आखिर ये नेटवर्क जेनरेशन (G) कैसे तय होती है और इनमें क्या फर्क होता है, आइए जानते हैं।
4G: मोबाइल इंटरनेट का नया दौर
4G यानी चौथी जेनरेशन की नेटवर्क तकनीक ने मोबाइल इंटरनेट को हाई-स्पीड डेटा, वीडियो कॉलिंग और स्ट्रीमिंग जैसी सुविधाएं दीं। यह LTE (लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन) तकनीक पर आधारित है, जिसने IoT यानी ‘Internet of Things’ डिवाइसेज को भी लोकप्रिय बनाया।
4.5G: 4G और 5G के बीच की कड़ी
4.5G को 4G का एडवांस्ड वर्जन कहा जा सकता है। इसमें डेटा ट्रांसफर की क्षमता और स्पीड दोनों ज्यादा हैं। यह VoLTE (वॉइस ओवर LTE) को सपोर्ट करता है, जिससे कॉल और इंटरनेट एक साथ उपयोग किए जा सकते हैं।
5G: दस गुना तेज नेटवर्क
5G यानी पांचवीं जेनरेशन की नेटवर्क तकनीक, जो 4G की तुलना में 10 गुना तेज है। भारत में 5G को 2022 में लॉन्च किया गया था और अब यह लगभग हर जिले में पहुंच चुका है। इससे हाई क्वालिटी वीडियो कॉलिंग, अल्ट्रा-फास्ट डाउनलोड और लो-लेटेंसी कनेक्शन संभव हुए हैं।
5.5G: 6G से पहले की क्रांतिकारी छलांग
5.5G या 5G-A मौजूदा 5G का एडवांस वर्जन है, जो AI और मशीन-टू-मशीन कनेक्टिविटी को और मजबूत बनाएगा। इसे 6G से पहले का “ट्रांजिशन नेटवर्क” भी कहा जा रहा है।
कैसे तय होती है नेटवर्क की नंबरिंग?
हर नई जेनरेशन के साथ नेटवर्क की स्पीड, बैंडविथ और कनेक्टिविटी क्षमता बढ़ती है, जबकि लैटेंसी घटती है। यही वजह है कि 4G से 5G और फिर 5.5G तक इंटरनेट का अनुभव और भी तेज और निर्बाध होता जा रहा है।
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