World Mental Health Day:
नई दिल्ली, एजेंसियां। यदि आप बार-बार एंग्जाइटी महसूस कर रहे हैं और इसके साथ चक्कर आने, थकान या सुनने में समस्या जैसी परेशानियां भी बनी रहती हैं, तो इसे हल्के में न लें। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ मानसिक चिंता नहीं है, बल्कि कभी-कभी ब्रेन ट्यूमर का भी संकेत हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं
विश्व स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। किशोरों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी उम्र के लोग स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। मानसिक समस्याएं शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं और इसके विपरीत भी। यही कारण है कि सभी लोगों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों का ध्यान रखना जरूरी है।
एंग्जाइटी की समस्या
आज के समय में युवाओं में एंग्जाइटी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। पहले इसे सामान्य तनाव समझकर अनदेखा किया जाता था, लेकिन अब विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या या मस्तिष्क से संबंधित जानलेवा रोगों का संकेत भी हो सकती है। हर साल 10 अक्टूबर को दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने के लिए विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
शोध के अनुसार
हाल ही में प्रकाशित शोध के अनुसार, बार-बार एंग्जाइटी होने पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। अध्ययन में बताया गया कि वेस्टिबुलर श्वानोमा, जिसे एकॉस्टिक न्यूरोमा भी कहा जाता है, एक प्रकार का नॉन-कैंसर ब्रेन ट्यूमर है, जो धीरे-धीरे बढ़ता है और सुनने तथा संतुलन की तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। इससे सुनने की समस्या, कान में आवाज (टिनिटस), चक्कर और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी
जामा ओटोलरींगोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि एंग्जाइटी की समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2004 से 2025 के बीच ब्रेन ट्यूमर का निदान पाए 109 वयस्कों के डेटा का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि जिन लोगों में चिंता विकार या एंग्जाइटी अधिक थी, उनमें बाद में ब्रेन ट्यूमर का खतरा अधिक था।
विशेषज्ञों के अनुसार
न्यूरोटोलॉजी विशेषज्ञ और अध्ययन के प्रमुख लेखक टायलर विल्सन के अनुसार, वेस्टिबुलर सिस्टम को प्रभावित करने वाली बीमारियों वाले रोगियों में मनोवैज्ञानिक संकट का खतरा अधिक होता है। लगातार बढ़ती चिंता सिर्फ मानसिक बेचैनी नहीं है, बल्कि यह नींद की कमी, दिल की धड़कन बढ़ना, थकान और ध्यान न लगना जैसी दिक्कतें भी पैदा कर सकती है। लंबे समय तक इसे अनदेखा करने पर मस्तिष्क स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार एंग्जाइटी, चक्कर और थकान जैसी समस्याओं के मामलों में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य दोनों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
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