Karva Chauth:
रांची। रांची कार्तिक मास के कृष्णपक्ष चतुर्थी यानी 10 अक्टूबर को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। महिलाएं करवा चौथ के दिन निर्जला उपवास रखती हैं। दिन भर व्रत रहने के बाद रात में चौथ का चांद देखने के बाद छलनी में पति का चेहरा देखकर सुहागिनें व्रत का पारण करती हैं। पंडित रमेश द्विवेदी के अनुसार करवा चौथ एक संध्या व्यापनी व्रत है।
इस बार 10 अक्टूबर को यह व्रत पड़ रहा है। इसी दिन चंद्रदर्शन रात्रि 07.58 बजे है। इसके बाद ही चंद्रमा का पूजन और दर्शन का कार्यक्रम किया जाएगा। इस बार करवा चौथ पर बड़ा ही दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों एक साथ चाल बदलेंगे। 10 अक्टूबर को चंद्रमा वृषभ राशि में गोचर करेंगे। वहीं, सूर्य देव चित्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को मान, सम्मान, यश, कीर्ति का कारक माना गया है।
वहीं, चंद्रमा मन के कारक हैं। यह दुर्लभ संयोग सभी के लिए शुभ फलदायक हैं। कृतिका नक्षत्र और सिद्धि योग में करवा चौथ का व्रत महिलाएं रखेंगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
व्रत का संकल्प लें चंद्रोदय तक निर्जला उपवास रखें।
संध्या काल में श्री गणेश, मां गौरी, भगवान शिव और चंद्रदेव का ध्यान कर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें और उनसे अपने सुहाग की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करें। मां पार्वती को शृंगार सामग्री अर्पित करें और मिट्टी के करवा (कलश) में जल भर कर पूजा स्थान पर रखें। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दें।
फिर छलनी में दीप जलाकर उसकी ओट से चंद्रमा को देखें और इसके बाद उसी छलनी से अपने पति का चेहरा निहारें, इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर आशीर्वाद लें। समाज की सरिता बथवाल ने कहा कि महिलाएं करवा चौथ का व्रत परंपरागत रूप से बड़ी श्रद्धा और सादगी से करती हैं। सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। भगवान शिव–पार्वती, गणेश और चंद्रदेव की पूजा की जाती है।
शाम को महिलाएं सोलह शृंगार कर सजती हैं और कथा सुनती हैं। इस व्रत में पति की लंबी उम्र, दांपत्य सुख और समृद्धि की कामना की जाती है। रात को खाना खाती हैं। चूरमा, शीरा, पूड़ी व सब्जी मुख्य रूप से बनाया जाता है।
इसे भी पढ़ें