Elon Musk raises questions:
नई दिल्ली, एजेंसियां। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील करने का ऐलान किया है, जिसमें पुलिस अधिकारियों को “सहयोग पोर्टल” के जरिए मनमाने ढंग से कंटेंट हटाने का अधिकार दिया गया है। कंपनी का कहना है कि यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और यूजर्स के संवैधानिक अधिकारों पर हमला करता है।
X का तर्क
X का तर्क है कि सहयोग पोर्टल से पुलिस बिना किसी न्यायिक समीक्षा के केवल “गैर-कानूनी” बताकर कंटेंट हटाने का आदेश दे सकती है। इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनावश्यक दबाव बनता है और यूजर्स को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलता। कंपनी ने कहा कि यह व्यवस्था भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और फ्रीडम ऑफ स्पीच के अधिकारों के लिए खतरा है।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने पहले X की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कंपनी ने कंटेंट रिमूवल मैकेनिज्म को चुनौती दी थी। कोर्ट ने माना कि भारत सरकार के नियमों में कोई कानूनी खामी नहीं है। इसके बाद अब X ने उच्च न्यायालय में इसे चुनौती देने का फैसला किया है।
भारत सरकार का कहना
भारत सरकार का कहना है कि सहयोग पोर्टल का उद्देश्य केवल अवैध और हानिकारक कंटेंट पर रोक लगाना है। 2023 से इंटरनेट नियम सख्त किए गए हैं और दो मिलियन से अधिक अधिकारी पोर्टल के जरिए सीधे टेक कंपनियों को कंटेंट हटाने का आदेश भेज सकते हैं।
मस्क और X
मस्क और X पहले भी भारत सरकार की कंटेंट ब्लॉकिंग और सेंसरशिप नीतियों के विरोध में खड़े रहे हैं। एलन मस्क ने कई बार कहा है कि वे “फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट” हैं और किसी भी देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से समझौता नहीं करेंगे। इस मामले से भारत में डिजिटल कंटेंट मॉनिटरिंग और ऑनलाइन फ्रीडम पर बहस तेज होने की संभावना है।
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