Bluish skin:
नई दिल्ली, एजेंसियां। अगर आपकी त्वचा पर बिना किसी चोट या टक्कर के नील पड़ने लगे हैं, तो इसे हल्के में न लें। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह समस्या अक्सर शरीर में कुछ जरूरी पोषक तत्वों की कमी का संकेत होती है। नील पड़ने की यह समस्या केवल सौंदर्य या बाहरी चोट का मामला नहीं है, बल्कि यह आपके शरीर की आंतरिक सेहत का भी आईना है। सही पोषण और संतुलित आहार के माध्यम से इसे रोका जा सकता है।
जिंक की कमी
जिंक हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ-साथ त्वचा की हीलिंग प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर शरीर में जिंक की कमी हो जाती है, तो न केवल चोट जल्दी ठीक नहीं होती, बल्कि बिना कारण भी त्वचा पर नील पड़ सकते हैं। जिंक की कमी को पूरा करने के लिए आप ड्राई फ्रूट्स, सीड्स, दालें, चिकन और सी फूड्स का सेवन कर सकते हैं। जिंक शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों में मदद करता है, इसलिए इसे अपने आहार में नियमित शामिल करना जरूरी है।
विटामिन सी की कमी
विटामिन सी आपकी त्वचा और रक्त वाहिकाओं को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी होने पर त्वचा पर हल्के दबाव या छोटी-मोटी चोट से भी नील पड़ सकते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि विटामिन सी युक्त आहार जैसे कि संतरा, कीवी, आंवला, अमरूद और हरी सब्जियां इस कमी को दूर करने में मददगार हैं। विटामिन सी न केवल त्वचा को स्वस्थ बनाता है, बल्कि रक्त प्रवाह और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
विटामिन के की कमी
विटामिन के का शरीर में सही स्तर बनाए रखना भी जरूरी है। इसकी कमी के कारण रक्त के थक्के ठीक से नहीं बन पाते और नतीजतन बिना चोट के भी नील पड़ सकते हैं। पालक, केल, ब्रोकोली जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां और अंडे की जर्दी विटामिन के की अच्छी स्रोत माने जाते हैं। यह विटामिन रक्त को पतला और रक्त प्रवाह को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है, जिससे नील पड़ने की समस्या कम होती है।
नील पड़ने से बचाव के उपाय
नील पड़ने की समस्या से बचने के लिए हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि संतुलित आहार लें और नियमित रूप से विटामिन और मिनरल्स का सेवन करें। अगर फिर भी नील लगातार पड़ रहे हैं या बढ़ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर या डर्मेटोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
समापन में कहा जा सकता है कि बिना चोट के नील पड़ना केवल सौंदर्य का मसला नहीं, बल्कि यह शरीर में जिंक, विटामिन सी और विटामिन के जैसी महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी का संकेत है। सही पोषण और समय पर चिकित्सकीय सलाह से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।
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