Priyanka Gandhi:
पटना, एजेंसियां। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को मोर्चे पर उतार दिया है। वह नीतीश कुमार के महिला वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश करेंगी। 26 सितंबर को प्रियंका बिहार के मोतिहारी में अपनी पहली चुनावी सभा करेंगी। पूर्वी चंपारण के मोतिहारी के गांधी मैदान में दोपहर करीब 1 बजे वह जनसभा को संबोधित करेंगी। इसके बाद पटना के सदाकत आश्रम में महिलाओं से संवाद करेंगी।
महिला वोटरों को साधने की कोशिशः
राहुल गांधी ने प्रियंका को उतारकर महिला वोटों को साधने की रणनीति बनाई है, जो नीतीश कुमार की कोर वोटर्स हैं।
नीतीश सरकार का काउंटर : 1 करोड़ महिलाओं को 10 हजार रुपये
प्रियंका के दौरे वाले ही दिन नीतीश सरकार 1 करोड़ से ज्यादा महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये ट्रांसफर करेगी। यह कदम महिला वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है। बिहार की महिलाएं नीतीश की बदौलत ही सरकार बनती-बिगड़ती रही हैं।
असम और यूपी में बेअसर रहीं प्रियंकाः
2021 के असम चुनाव में प्रियंका ने 6 जनसभाओं को संबोधित किया। उन्होंने गृहिणियों को 2000 रुपये मासिक और 200 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया। गुवाहाटी के चाय बागान में सिर पर टोकरी लटकाकर चाय की पत्तियां तोड़ीं और महिलाओं से घुली-मिलीं। लेकिन, कांग्रेस को 126 में से सिर्फ 29 सीटें मिलीं। चाय बागान वाली 40 सीटों में से 33 पर भाजपा जीती। सीएए, बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी काम नहीं आए।
2022 के यूपी चुनाव में प्रियंका ने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा दिया। ‘वीमेन मेनिफेस्टो’ जारी किया, जिसमें 3 मुफ्त गैस सिलेंडर, छात्राओं को स्मार्टफोन-स्कूटी का वादा था। 40% टिकट महिलाओं को दिए, 399 में 155 महिलाएं लड़ीं। रोड शो-रैलियों से भीड़ जुटाई, लेकिन 403 सीटों में सिर्फ 2 जीतीं। यह कांग्रेस का सबसे शर्मनाक प्रदर्शन था।
प्रियंका की छवि भुनाना चाहते हैं राहुलः
वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शी रंजन के अनुसार राहुल प्रियंका की छवि भुनाना चाहते हैं। प्रियंका का बॉडी लैंग्वेज और बोलचाल जनता से कनेक्ट करती है। बिहार में महिलाएं जागरूक हैं, पिछले 20 साल की योजनाओं से सबल हुई हैं। लेकिन, नीतीश ने महिलाओं को मजबूत किया है, इसलिए प्रियंका का असर कितना होगा, अंदाजा मुश्किल है। असम-यूपी में क्षेत्रीय दलों का सपोर्ट कम था, बिहार में
महागठबंधन से उम्मीदः
राजनीतिक विशेषज्ञ प्रवीण बागी के मुताबिक प्रियंका साफ-सुथरी छवि वाली हैं, युवा-महिलाओं में आकर्षण है। लेकिन, उनका राजनीतिक करियर नया है, मोतिहारी में भीड़ तो होगी, वोट में बदलना मुश्किल। नीतीश सरकार ने महिलाओं को आरक्षण, पेंशन, कन्या उत्थान योजना से सशक्त किया। महिलाओं में असंतोष नहीं। बिहार की जनता जागरूक है, सिर्फ भाषण से वोट नहीं मिलते। अपराध-भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बने तो असर हो सकता है।
पहले भी बिहार में सक्रिय : वोटर अधिकार यात्रा में शामिल हुईः
प्रियंका पहले भी बिहार आईं। राहुल की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में शामिल हुईं। 26 अगस्त को सुपौल में राहुल, तेजस्वी यादव, रेवंत रेड्डी के साथ रोड शो किया। 27 अगस्त को दरभंगा में बाइक रैली में राहुल के साथ बुलेट पर सवार हुईं। यह यात्रा वोट चोरी के खिलाफ थी।
नीतीश का महिला वोट बैंक : पंचायत आरक्षण से शराबबंदी तकः
2005 से नीतीश महिलाओं को वोट बैंक मानते हैं। पंचायतों में 50% आरक्षण दिया। शराबबंदी लागू की। विधवा-बुजुर्गों को पेंशन, कन्या उत्थान में 12वीं पास को 10 हजार, ग्रेजुएशन को 50 हजार। कन्या विवाह योजना में गरीब बेटियों की शादी के लिए 50 हजार। यही कारण है कि 15 सालों में महिलाएं निर्णायक बनीं।
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