FACEBOOK–INSTAGRAM creators:
नई दिल्ली, एजेंसियां। अगर आप फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर कंटेंट बनाते हैं और उसमें AI का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके लिए बड़ी खबर है। संसद की स्टैंडिंग कमेटी ऑन कम्युनिकेशन एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने सरकार को AI आधारित कंटेंट क्रिएशन पर सख्त नियम लागू करने की सिफारिश की है। समिति का मानना है कि AI के जरिए बनाए जा रहे वीडियो, फोटो और आर्टिकल्स से फेक न्यूज फैलाने का खतरा बढ़ रहा है, इसलिए इसे नियंत्रित करना जरूरी है।
AI कंटेंट पर लेबलिंग और लाइसेंस की सिफारिश
समिति ने अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि AI जनरेटेड कंटेंट पर स्पष्ट लेबलिंग अनिवार्य की जानी चाहिए, ताकि दर्शक या पाठक तुरंत पहचान सकें कि कंटेंट इंसान ने बनाया है या मशीन ने। इसके अलावा, ऐसे कंटेंट बनाने वालों को लाइसेंस लेना होगा, जिससे उनकी पहचान सुनिश्चित की जा सके और गलत जानकारी फैलाने वालों पर कार्रवाई करना आसान हो।
फेक न्यूज पर रोक लगाने की कवायद
समिति ने कहा कि AI की मदद से फैलाई जा रही फेक न्यूज से न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर खतरा है बल्कि यह लोगों को भ्रमित भी करती है। ऐसे में टेक्नोलॉजिकल और लीगल उपाय जरूरी हो जाते हैं। प्रस्तावित नियमों का मुख्य उद्देश्य गलत सूचनाओं पर रोक लगाना और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पारदर्शिता लाना है।
क्रिएटर्स पर संभावित असर
फिलहाल ये केवल सिफारिशें हैं और अभी कानून का रूप नहीं लिया है। लेकिन अगर इन्हें लागू किया जाता है, तो क्रिएटर्स को अपने AI जनरेटेड वीडियो, फोटो और आर्टिकल्स पर लेबल लगाना होगा। इसका सीधा असर यह होगा कि लोग आसानी से समझ सकेंगे कि कौन सा कंटेंट AI से बना है। इससे फेक न्यूज और गुमराह करने वाली सूचनाओं पर काफी हद तक रोक लगने की उम्मीद है।
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